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वीरसेामन्दिर-प्रन्धमाला
मुहु बहु पभणद कर फास जाणु, लक्खणहो सिरिहरुमरियमाणु । बहु भात कुणि वि मउलिय स-पाणि, दय किज्जड बंधव परमणाणि।
इस पणवाव हय संसार-सरणि, पुरवाडवंस तामरस तरणि । बिल्हण सुरुह पाय स्य धाम, जिणहरु जिनमत पसिद्धबाम्। तहो आंदण गयणायद-हेड, णामेण सिरिहरु सिरिणिकेट । णिव गोतामर पंथो सहीसु, पणिणीह तरंगिण तीरिणीम्। दुग्वसण कसर भर समय-मेहु, प्रगतिन गडरउ गुख गरु भागेदु । परिवार भार धुर-भाग-धीर, विलसिय विलास सुरवर सरीरु। मुगि वयण कमल मयरंद भसलु, पवयण क्यचाहिब मुगव कुसलु । सो विलरामे खिवसंतुमंतु, तह शिवसह लक्खणु सीवर्षतु। ते सिरियामें कह पसु पयार, विरह व पयडिव हो पुरउ सार । शिसुक्षेवि कहा जियहरहो पुत, संपभणह बक्सबहो सुबुद्ध शुत।
पर चित्तु परिवखणु तस तणु रक्सणु सुवियक्खणु सक्खणु स-धणु ।
पिसुणेवि पडिहासह सिरि विसरासह कुमा-पंसु उपसमइ घणु ॥॥ हो हो सिरिहर पणिवर कुमार, मारावयार कय चारु चार । चारहडिचउर चड रस्स उर, उरयाहिव सरिणह भोय पउर । पडरिस रस रसिय सरीर मोह, सोहाहिल कलिय पमुक्क मोहर मोहिय स्बें पुर रमणि विंद, वंदिया सासण केलि कंद। कंदाविय दुटु जयाण मुख, मुखमा विवज्जिय अस विसुद्ध । सुद्धा साहु परिय तेयतार, तारवि तिरवण रयणसार । सारंग वम्ग पर दीहोत, रोल हराम तामरस बना ........."पीणिय सुपण सत्य, सस्थेहिं बियायिय शिरू पायस्थ अत्यावियसुय-पय-रस-विसेस, सेसिय १ कुविसय विसरस पएस । हावाह बह रस मुशिव भंग, . अभंग य सासिब सिहरि संग । सिंगार विडवि पोसणु सुमेह, मेहावर कर दिय रोहये। येहिल अबर्हि वकित्तिमाल, मावह मावकिय कुडित बास । बाबा किरण तनु-य खीख, खोलारस पहिय कामकील। कीलारविंद मवर मिग, भिंगाहाविध विविसिंग
मुशिया हिखबर लक्खण भोकह ! लक्षण कह दिसुणे वि मजुरंज़ियड । महु मनु गुबगसारख पावणु पावें अहं बिबट। पशुपमवह सिरिहरु बिसुबिबल्स, पर पडिय सत्य रस मह महत्व। पणि मरुहदत्त कह कहहि तेम, अहिबर विग्हवि मा पुरउ म । फिहमद संबडप सज्छु, पाविज्जह किंप परत कन्छ । तेसु पसाएं महु सहलु जम्मु, बाहुबह बच बिहथिय-कम्म। सम्हालुप्परि किजा पसाड, । बहु समय परिगति गाउ। .. पहुं अदिख मे मवि पुत्र विग्य, पई परिमाइर मड विद विज।