________________
१६६
के नाम पर मद्य-मांस का सेवन करने में भी नहीं चूकते। यह मध्यम
श्रेणी हे ।
- साधना के लिए खाने वाले ये संयम की रक्षा के लिए, तप त्याग के योग्य शरीर को बनाये रखने के लिए एवं भजन आदि साधना करने के लिए भोजन करते हैं । इनके भोजन में शुद्धता, नियमितता ओर मर्यादा रहती है । साधना में भोजन की आवश्यकता न होने पर ये भोजन का त्याग भी कर देते हैं। उनका उद्देश्य न स्वाद है, न स्वास्थ्य, किन्तु साधना ही उनका लक्ष्य है । ये सबसे उत्तम श्रेणी के लोग हैं। भोजन की तरह उपवास आदि को भी वे शरीर की खुराक मानते हैं ।
अनशन तप
भोजन में अनासक्ति
उत्तम श्रेणी के मनुष्य भोजन तभी करते हैं जब उन्हें साधना के लिए उसकी आवश्यकता रहती है। सूत्र में बताया है--- साधुजन देह की रक्षा क्यों करते हैं ? उत्तर दिया है- मोक्ष की साधना करने के लिए " मोक्त साहन हेस्स साहू देहस्त धारणा - मोक्ष साधना के लिए ही साधु देह को धारण करता है, और देह को सुचारु रूप से कार्यरत रखने के लिए भोजन करता है। इस बात को शातासूत्र में धन्य सेठ का उदाहरण देकर बहुत ही स्पष्ट रूप में बताया गया है | धन्य सेठ का इकलौता पुत्र भाव ! बड़ी मनौतियों के बाद उसका जन्म हुआ था । सेठ-सेठानी का बना ही प्यारा, बांगों का तारा और कलेजे को कौर था यह एक बार यह पर के बाहर बच्चों के साथ खेल रहा था। अचानक उस नगर कोर विजय उधर से निकला । उसने कुमार को विविध आभूषणों से उनके मुंह में पानी छूट या
और भाग गया। जगत में लिये और
हुआ
मोका देकर उसने कुमार की
उसने
गोतियों के
कर एक अंधे में
सेके
राजका हामी
काम
गहने चार
दिया |