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तप और लब्धियां
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आज का युग वैज्ञानिक युग कहलाता है । आज कोई भी वस्तु तवं तक सही व सत्य नहीं मानी जाती जव तक विज्ञान उसकी सत्यता स्वीकार नहीं कर लेता । लोगों में एक भावना बन गई है कि जो विज्ञान द्वारा सम्मत हों, वही सत्य है । जिस वस्तु तथ्य का विज्ञान समर्थन नहीं करता वह सत्य नहीं हो सकता । यह धारणा एक लोकप्रवाह मात्र है । वास्तव में विज्ञान ने आज आश्चर्यकारी अनुसंधान तो किये हैं, किन्तु वे सब भौतिक जगत में ही किये हैं । वस्तु, पदार्थ और अणु के विश्लेषण में विज्ञान ने अवश्य आश्चर्यजनक प्रगति की है, किन्तु आध्यात्मिक शक्तियों के बारे में वह आज भी गतिहीन है | मनुष्य की आत्मा में, मन में कितनी अनन्त शक्तियां भरी हैं इसका विश्लेषण आज का विज्ञान नहीं कर सकता । आज भी वैज्ञानिक जब किसी योगी के मानसिक शक्तियों के चमत्कार, आध्यात्मिकं तेज तथा आत्मा में प्रगट हुई कुछ विचित्र स्वाभाविक शक्तियों को देखते हैं तो दांतों तले अंगुली . दवा लेते हैं और विज्ञान वहाँ हार खा जाता है । विज्ञान ने जिसे विल पावर (Will Power) (इच्छा शक्ति) माना है वह भी एक प्रकार को मानसिक शक्ति है । मेस्मेरिज्म के प्रयोग से हजारों मनुष्यों का सम्मोहित किया जाता है, असाध्य रोगों का इलाज किया जाता है—क्या यह भौतिक शक्ति है ? नहीं