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जानवम का हमार TRA
११. से असई' उच्चागोए, असई' नीयागोए। नो हीणे, नो अइरिते।
-आचारांग १।२।३ यह जीवात्मा अनेक बार उच्चगोत्र में जन्म ले चुका है और अनेक बार नीच गोत्र में। इस प्रकार विभिन्न गोत्रों में जन्म लेने मात्र से न कोई आत्मा हीन होता है और न कोई महान् ।