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नाव
क्रोध में अन्धा हुआ व्यक्ति पास में खड़ी मां, बहन और बच्चे
को भी मारने लग जाता है। ७. कोवेण रक्खसो वा, णराण भीमो णरो हदि ।
-भगवती आराधना १३६१ ऋद्ध मनुष्य राक्षस की तरह भयङ्कर बन जाता है । i. रोसेण रुद्दहिदओ, णारगसालो णरो होदि ।
-भगवतीआराधना १३६६ क्रोध से मनुष्य का हृदय रौद्र बन जाता है, वह मनुष्य होने पर भी नारक (नरक के जीव) जैसा आचरण करने लग जाता
६. कोहण अप्पं डहित परं च, अत्थं च धम्मं च तहेव कामं । तिव्वंपि वेरं य करेंति कोधा, अधम गति वाविउविति कोहा ।।
-ऋषिभाषित ३६४१३ क्रोध से आत्मा 'स्व' एव 'पर' दोनों को जलाता है अर्थ-धर्म-काम को जलाता है, तीव्र वर भी करता है तथा नीचगति को प्राप्त
करता है। १०. भस्मी भवति रोषेण पुंसां धर्मात्मकं वपुः ।
__ -शुभचन्द्राचार्य क्रोध से मनुष्य का धर्म प्रवृत्ति रूप शरीर जल जाता है। ११.. उत्तापकत्वं हि सर्वकार्येषु सिद्धीनां प्रथमोऽन्तरायः ।
-नीतिवाक्यामृत १०।१३४ ___ गर्म होना सभी कार्यों की सिद्धि मे पहला विघ्न है । १२. न कस्यापि ऋद्धस्य पुरस्तिष्ठेत् ।
-नीतिवाक्यामृत ७७ क्रुद्ध व्यक्ति के सामने खड़े मत रहो ! फिर चाहे वह कोई भी हो।