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सत्य
२०. मुसावाओ उ लोगम्मि सव्वसाहहिं गरहिओ।
-दशवकालिक ६१३ _ विश्व के सभी सत्पुरुषों ने मृषावाद (असत्य) की निन्दा की है। २१. भासियव्वं हियं सच्चं ।
-उत्तराध्ययन १९।२७ सदा हितकारी सत्य बोलना चाहिए। २२. अन्न भासइ अन्न करेइ त्ति मुसावओ।
-निशीथचूणि ३९८८ कहना कुछ और करना कुछ—यही मृषावाद (असत्यभाषण) है। २३. एकतः सकलं पाप-मसत्योत्थं ततोऽन्यतः । साम्यमेव वदन्त्यार्या-स्तुलायां धृतयोस्तयोः ।।
-ज्ञानार्णव, पृष्ठ १२६ एक ओर जगत् के समस्त पाप एवं दूसरी ओर असत्य का पाप -इन दोनों को तराजू मे तोला जाय तो बराबर होंगे ऐसा आर्यपुरुष कहते है। असत्यमप्रत्ययमूलकारणम् ।
-सिन्दूरप्रकरण ३१ असत्य अविश्वास का मूल कारण है । अतः विश्वास चाहनेवाले को असत्य का त्याग करना चाहिए।