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पुण्य-पाप
इह लोगे सचिन्ना कम्मा, इह लोगे सुहफल विवागसंजुत्ता भवंति । इह लोगे सचिन्नाकम्मा, . परलोगे सुहफल विवागसंजुत्ता भवंति ।
-स्थानांग २ इस जीवन में किए हुए सत्कर्म इस जीवन में भी सुखदायी होते हैं। इस जीवन में किए हुए सत्कर्म अगले जीवन में भी सुखदायी
होते हैं। २. सुचिण्णा कम्मा सुचिण्णफला भवंति । दृचिण्णा कम्मा दुचिण्णफला भवंति ।
-औपपातिक ५६ अच्छे कर्म का अच्छा फल होता है।
बुरे कर्म का बुरा फल होता है। ३. पावोगहा हि आरंभा, दुक्खफासा य अंतसो ।
--सूत्रकृतांग ११८७ पापानुष्ठान अन्ततः दुःख ही देते हैं। सव्वं सुचिण्णं सफलं नराणं ।
-उत्तराध्ययन १३।१०