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काम - विषय
२४.
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प्रमत्त मनुष्य धन के द्वारा अपनी रक्षा नहीं कर सकता, न इस लोक में ओर न पर लोक में ।
२५.
इहलोए ताव नट्ठा, परलोए वि य नट्ठा ।
- प्रश्नव्याकरण १/४
विषयासक्त इस लोक में भी नष्ट होते हैं और परलोक में भी ।
उवणमंत मरणधम्मं अवित्तत्ता कामाणं ।
- प्रश्नव्याकरण १।४
अच्छे से अच्छे सुखोपभोग करनेवाले देवता और चक्रवर्ती आदि भी अन्त में काम भोगों से अतृप्त ही मृत्य को प्राप्त होते हैं ।