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मनोनिग्रह
१.
निग्गहिए मणपसरे, अप्पा परमप्पा हवइ ।
-आराधनासार २०
मन के विकल्पों को रोक देने पर आत्मा, परत्मात्मा बन
जाता है। २. मणणरवडए मरणे, मरंति सेणाई इन्दियमयाई ।
-आराधनासार ६० मन रूप राजा के मर जाने पर इन्द्रियांरूप सेना तो स्वयं ही मर जाती हैं। (अतः मन को मारने-वश में करने का प्रयत्न
करना चाहिए।) ३. सुण्णीकयम्मि चित्ते, णणं अप्पा पयासेड ।
-आराधनासार ७४ चित्त को (विषयों से) शून्य कर देने पर उसमें आत्मा का प्रकाश झलक उठता है।
४. मणं परिजाणइ से णिग्गंथे ।
-आचारांग २॥३॥१५॥१ जो अपने मन को अच्छी तरह परखना जानता है, वही सच्चा निर्ग्रन्थ होता है।
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