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जैनधर्म की हजार शिक्षाएं
अज्ञान सबसे बड़ा दुख है। अज्ञान से भय उत्पन्न होता है, सब
प्राणियों के संसार-भ्रमण का मूलकारण अज्ञान ही है । २१. तत्थ मंदा विसीयंति उज्जाणंसि व दुबला।
-सूत्रकृतांग १।३।२।२१ ऊंची भूमि पर चढ़ते हुए दुर्बल बैलों की तरह अज्ञानी जीव जीवन
की चढ़ाई में विषादग्रस्त होता है । २२. नह्यज्ञानात् परः पशुरस्ति।
-नीतिवाक्यामृत ॥३७ अज्ञान से बढ़कर कोई पशु नहीं है ।