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श्रावकधर्म
पचेव अणुव्वयाई गणव्वयाईच हुति तिन व । सिक्खावयाइ चउरो सावगधम्मो दुवालसहा।
___ श्रावकधर्मप्रज्ञप्ति ६ श्रावकधर्म पाच अणुव्रत, नीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत यों बारह प्रकार है।
धम्मग्यणस्सजोगो अक्खुद्दो रूवव पगइसोम्मो। लोयप्पियो अक्कूरो, भीरु असठो सुदक्खिन्नो। लज्जालुओ दयालू, ममत्थो सोम्मदिट्टी गृणरागी। सक्कह सपक्खजुत्तो, सुदीहदंसी विसेसन्नू । बड्ढाणुगो विणीओ कयन्नओ परहिअत्थकारी य । तह चेव लद्धलक्खो, एगवीसगणो हवइ सड्ढो।
-प्रवचन सारोद्धार २३६ गाया १३५६-१३५८ धर्म को धारण करने योग्य श्रावक मे २१ गुण होने चाहिए । यथा १ अक्षद्र, २ रूपवान, ३ प्रकृतिसौम्य, ४ लोकप्रिय ५ अक्रूर ६ पापभीरु, ७ अशठ (छल नही करनेवाला), ८ सदाक्षिण्य (धर्मकार्य मे दूसरो की सहायता करनेवाला), ६ लज्जावान, १० दयालु ११ रागद्वेषरहित (मध्यस्थभाव मे रहनेवाला), १२ सौम्यदृष्टिवाला, १३ गुणरागी, १४ सत्यकथन में रुचि रखनेवाले - धार्मिकपरिवारयुक्त, १५ सुदीर्घदर्शी १६ विशेपज्ञ, १७ वृद्ध महापुरुषो के पीछे चलनेवाला,
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