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सव्यवहार
६. संकिलेसकरं ठाणं, दूरओ परिवज्जए।
- बराब० ॥११६ जहां भी कहीं क्लेश की सम्भावना हो, उस स्थान से दूर रहना
चाहिए। ७. उप्फुल्लं न विणिज्झाए ।
-दशवकालिक ५११२३ आंखे फाड़ते हुए, घूरते हुए नहीं देखना चाहिए। ८. निअट्टिज्ज अयंपिरो।
-दशवकालिक ५।१।२४ किसी के यहां अपना अभीष्ट काम न बन पाए तो बिना कुछ
बोले (झगड़ा किए) शान्तभाव से लौट आना चाहिए । ६. छंद से पडिलेहए।
- दशवकालिक ५२११३७ ____ व्यक्ति के अर्न्तमन को परखना चाहिए। १०. उप्पण्णं नाइहीलिज्जा।
-दशकालिक २१९ समय पर प्राप्त उचित वस्तु की अवहेलना न कीजिए। काले कालं समायरे।
-शवकालिक ॥१॥४ जिस काल (समय) में जो कार्य करने का हो, उस काल में वही कार्य करना चाहिए। सप्पहासं विवज्जए।
-दशवकालिक ४२ अट्टहास नही करना चहिए।