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३४४ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य
____ इन श्लोको के अनुसार स्याद्वाद मञ्जरी की रचना मे आचार्य मल्लिषेण को जिनप्रभ सूरि का विशेष सहयोग प्राप्त था।
यह कृति वी० नि०१८२० (वि० १३५०) मे शनिवार दीपमालिका के दिन सम्पन्न हुई थी। मल्लिषेण के कालक्रम को जानने के लिए इसके अतिरिक्त और कोई भी पुष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है।