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आचार्यों के काल का सक्षिप्त सिंहावलोकन १५
इतिसास है। महावीर के शासनकाल मे नौ गण थे । आचार्य भद्रबाहु, महागिरि एव सुहस्ती के शिष्यों से नो गणो का जन्म हुआ। उनके नाम इस प्रकार हैं३५_
(१) गोदास गण (२) उत्तर वलिस्सइ गण ( ३ ) उद्देह गण (४) चारण गण (५) उडुपाटितगण (६) वेश पाटिक गण (७) कामद्धि गण (८) मानव गण ( 8 ) कोटिक गण ।
इन गणो से कई शाखाओ और कुलो का उदभव हुआ । कल्पसूत्र स्थाविराचली मे उनका उल्लेख इस प्रकार है - ( १ ) तामलिप्तिका, (२) कोटिर्वापिका, (३) पाण्डुवर्धनिका, (४) दासीखवंटिका - ये चार शाखाए गोदास गण की थी ।
( १ ) कोशम्विका ( २ ) शुक्तिमतिका (३) कोडवाणी (४) चन्द्रनागरी - ये चार शाखाए उत्तर बलिस्सह गण थी ।
(१) उदुवरिज्जिका (२) मासपूरिका (३) मतिपत्तिका ओर सुवर्णपत्तिका - ये चार शाखाए, (१) नागभूतिक (२) सोमभूतिक (३) उल्लगच्छ (४) हत्थिलिज्ज ( ५ ) नन्दिज्ज (६) पारिहासिक - ये ६ कुल उद्देह गण के थे ।
(१) हारितमालागारी (२) सकासिका (३) गवेधुका (४) वज्रनागरी —ये चार शाखाए, तथा (१) वत्थलिज्ज ( २ ) वीचिधम्मक (३) हालिज्ज (४) पुसमि त्तेज्ज (५) मालिज्ज ( ६ ) अज्जवेडय (७) कण्णसह -- ये सात कुल चारण गण के थे ।
(१) चपिज्जिया ( २ ) भद्दिज्जिया ( ३ ) काकदिया (४) मेहलिज्जिया ये चार शाखाए तथा ( १ ) भद्दजस्स ( २ ) भद्दगुत्त (३) जस्सभद्द - ये तीन कुल पात गण के थे ।
(१) सावत्थिया ( २ ) रज्जपालिया (३) अन्तरज्जिया (४) खेम लिज्जिया - ये चार शाखाए तथा (१) गणिक (२) मेहिक (३) कामद्धिक ( ४ ) इन्द्रपूरक -ये चार कुल वेशपाटिक गण के थे ।
कामाद्धिक गण की कोई शाखा नही थी। वेशपाटिक गण का एक कुल था । (१) कासमिज्जिया (२) गोयमिज्जिया (३) वासिट्टिया ( ४ ) सोरिट्ठिया - ये चार शाखाए तथा ( १ ) इसिगुत्तिय ( २ ) इसिदत्तिय (३) अभिजसत-तीन कुल माणव गण के थे ।
(१) उच्चानागरी (२) विज्जाहरी (३) वइरी (४) मज्जिमिल्ला - ये चार शाखाए तथा (१) बभलिज्ज ( २ ) वच्छ लिज्ज (३) वाणिज्ज (४) पण्णवाहणय - ये चार कुल कोटिक गण के थे ।
आर्य सातिसोणिक के शिष्य परिवार से अज्जसेणिया भज्जातावसा, अज्जकुबेरा, अज्जइसिपालिया, आर्य -समित से ब्रह्मदेविया, आर्यवज्र से वज्रशाखा,