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२७६ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य
था। यह वात प्रस्तुत पाठ से प्रमाणित हो जाती है।
टीकाकार आचार्य शीलाक का समय 'चउप्पन्न पुरिस चरिय' ग्रन्थ की मिति सवत् के आधार पर तथा टीका मे प्राप्त टीका-रचना-समाप्तिकाल के अनुसार वी०नि० की १४वी सदी का उत्तरार्द्ध है।