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जिनवाणी सगायक आचार्य जिनमेन २६१ राष्ट्रकूट वंश का जन धर्म से घनिष्ठ नवघ था। नरेश अमोघवपंप्रथम इस वश के महान् प्रतापी शासक थे। आचार्य जिननेन ने प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का उन पर अतिशय प्रभाव पा।
प्रश्नोतर रलमालिका मे नमोपवर्ष को आदिपुराण के फर्ता जिनसेन के चरणो की पूजा करने वाला बतलाया गया है। यह कृति स्वय अमोघवर्ष की ही है।
जिनसेन जिनवाणी ने पुगन मगाया आचार्य थे। जयधयला टीका की ई० स०५३७ में रचना को थी।न आधार पर जनपा कालमान वी०नि० १३६४ (वि.८६४) है।