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जैन धर्म के प्रभावक आचार्य
मेरी माता का नाम सुयशा है । मै यौवन से उन्मत्त होकर विपुल धन का व्यय करता था। मेरी इस आदत से प्रकुपित पिता ने मुझे शिक्षा दी-'वत्स 1 मितव्ययी भव' -वत्स | मितव्ययी बन । पिता की यह शिक्षा मुझे नीम की तरह कटु लगी। मैं उनसे रुष्ट होकर घर से निकला और इतस्तत चक्कर लगाता यहा आ पहुचा है। गुरु के द्वारा नाम पूछने पर उसने खटिका से लिखकर बताया-"आम।" आम का महाजनोचित यह व्यवहार देखकर गुरु को लगा-यह कोई पुण्य पुरुष है। ___ आम भी आचार्य सिद्धसेन से प्रभावित हुआ। गुरु के आदेशपूर्वक उसने मुनि बप्पभट्टि से वहत्तर कलाओ का प्रशिक्षण पाया। लक्षण और तर्कप्रधान ग्रन्थो को भी पढा । धीरे-धीरे वप्पभट्टि के साथ आम की प्रीति अस्थि-मज्जा की भाति सुदृढ हो गयी।
आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण ह्रस्वा पुरा वृद्धिमती च पश्चात् । दिनस्य पूर्वार्द्धपरार्द्धभिन्ना छायेव मैत्री खल सज्जनानाम् ॥"
-खल मनुष्यो की प्रीति प्रभात कालीन छाया की भाति क्रमश घटती जाती है और सज्जन मनुष्यो की प्रीति मध्याह्नोत्तर छाया की भाति क्रमश बढती जाती
____ आम और वप्पट्टि की प्रीति दिन-प्रतिदिन गहरी होती गयी। कुछ काल के बाद राजा यशोवर्मा असाध्य बीमारी से आक्रान्त हो गया। उसने पट्टाभिषेक के लिए प्रधान पुरुषो के साथ आम कुमार को लौट आने का निमत्रण भेजा । आम की इच्छा न होते हुए भी राजपुरुष उसे ले आए। पिता-पुत्र का मिलन हुआ। पिता ने पुत्र को सवाष्प नयनो से देखा, गाढ आलिंगन के साथ गद्गद् स्वरो से उपालम्भ भी दिया।
__ औपचारिक व्यवहार के वाद यशोवर्मा ने प्रजापालन का प्रशिक्षण पुत्र को दिया और शुभ मुहूर्त मे आम का राज्याभिषेक हुआ।
राज्यचिन्ता से मुक्त होकर यशोवर्मा धर्मचिन्ता मे लगे । जीवन के अन्तिम -समय मे अरिहन्त, सिद्ध और साधु-त्रिविध शरण को ग्रहण करते हुए उनको स्वर्ग की प्राप्ति हुई। ____ आम ने उनका और्वदैहिक सस्कार किया। राज्यारोहण के प्रसग पर प्रजा को विपुल दान दिया। आम सब तरह से सम्पन्न था। प्रजा सुखी थी। किसी भी प्रकार की चिन्ता आम को नही थी, किन्तु परममिन मुनि बप्पभट्टि के बिना उसे अपनी सम्पन्नता पलाल-पुलसम निस्सार लग रही थी। ___ राजा आम का निर्देश प्राप्त कर राजपुरुष बप्पभट्टि के पास पहुचे और प्रणतिपूर्वक बोले, "आर्य | आम राजा ने उदग्र उत्कठा के साथ आपको आमन्त्रण भेजा है। आप हमारे साथ चले और आम की धरती को पावन करे।" श्रमण बप्पभट्टि ने राजपुरुषो के निवेदनको ध्यान से सुना । गुरुजनो से आदेश लेकर गीतार्थ