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१५६ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य
कर्णाटकीय पहाडियो की जैन गुफाओ मे उन्होने ध्यान और तप की उत्कृष्ट साधना की । उनकी मुख्य निवास-स्थली - नन्दी पर्वत की गुफाए थी ।
धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होने सपूर्ण भारत में परिभ्रमण किया था। वे महाविदेह मे भी गए थे और उनके पास चारण ऋद्धि भी थी। उन्हे सीमधर स्वामी से ज्ञानोपलब्धि हुई ऐसी जनश्रुति भी विश्रुत है ।
डा० ज्योतिप्रसाद जैन ने उनका समय ई० पू० ८ से ४४ ईस्वी माना है । इस आधार पर वे वीर निर्वाण ५१६ से ५७१ ( विक्रम ४८ से १०१ ) तक विद्यमान थे ।