________________
व्रत पालता है उसी प्रकार स्त्री भी महावत न पाल सकने के कारण एक पुरुष को ग्रहण कर अणुव्रत पालती है। इसमें कोई किमी की सम्पत्ति नहीं कहलाती।सीताकी जब अग्निपरीक्षा हो चुकी तब रामचन्द्र ने फिर घर में रहने को उनसे प्रार्थना की, परन्तु सीताने गमचन्द्र की प्रार्थना नामंजूर की और आर्यिका की दीक्षा लेली । क्या सम्पत्ति, मालिक की इच्छा के विरुद्ध चनी जा सकती है ? अब जग और भी विचार कीजियअगर स्त्री, पुरुप की सम्पत्ति है तो पुरुष के मरने के बाद जर ममम्त सम्पत्ति का स्वामी उम्मका पुत्र होता है उमी प्रकार उनकी स्त्रो का अर्थात अपनी माता का भी म्वामी पुत्र कहलायगा। क्या विधवाविवाह के विरोधियों को यह पान इट है ? यदि वह स्वामी नहीं है तो मानना चाहिए कि वह पिता की सम्पत्ति नहीं थी। उसने तो अणुव्रत पालन के लिये एक पुरुष का महाग लिया था। अब वही महाचत पालंगी या वन्य दीना लेगी अथवा छठवी प्रतिमा के आगे न बढ़ सकंगा ना नर्विवाह करेगी । उसने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार पति के जीवन भर साथ दिया । अब वह दृमग प्रवन्ध करने के लिये स्वतन्त्र है। यदि इतने भर भी लोग त्रो को सम्पत्ति समझ तब यह कहना पड़ेगा कि पति के मरन पर उसका दृालरा पनि हाना ही चाहियः क्याकि सम्पत्ति जावारिस नहीं रह सकती। अगर वह लावारिम रहगी तब तो प्रत्येक प्रादमी उसका मन माने रूपमें प्रयोग करेगा । तब हमारीमा वहिन या वन जावेगी। यह कल्पना भी
* पगिडत नेकीगम शर्मा के शब्दों में आजकल की बहुत मो विधवार पब्लिक प्रापर्टी-सार्वजनिक सम्पत्ति