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________________ ८० पोषण करते हैं और उसके कुछ अंश रक्त के अन्दर टोक्सिन्स (toxins) छोड़ते हैं जो भोजन निषिद्ध बताये गये हैं उनमें टोक्मिन्म (toxins) अधिक होते हैं और जिन खाद्य पदार्थों को भोजन के योग्य बताया गया है उनमें टोक्मिन (toxin) हलके प्रकार का और कम होता है लेकिन सभी प्रकार के भोजन से ऐसे रासायनिक पदार्थ निकलते हैं जिनसे हमारा रक्त दूपित होता है। हम २४ घण्टे में जितने अधिक बार भोजन करेंगे उतनी ही बार हम अपने अमृत में विष घोल रहे हैं अर्थात अमृत के विषाक्त होने की दर बढ़ जायगी और हम अपने मृत्यु के दिन को और अधिक निकट बुलाते चले जायेगे । भोजन जितना ही कम वार किया जायेगा उतनी ही अमृत के विषाक्त होने की दर धीमी पड़ जायगी। अनशन वाले दिन अमृत में विष का मिलना न केवल बन्द ही रहेगा अपितु दोषों का किञ्चित् शमन भी होगा। इस प्रकार 'अनशन' हमें पूर्ण आयुष्य को भोगने में सहायता करता है। ___ आयुष्य के सम्बन्ध में एक और भी तुलना लोगों ने दी है जो बुद्धि गम्य है । जिम प्रकार दीवार से लटकने वाली घड़ी को न्यूनाधिक चाबी देकर उसके पेडुलम को हिलती हुई अवस्था में रखा जा सकता है। अगर चाबी कम भरी जायगी तो पेंडुलम थोड़े दिनों तक चलेगा और चाबी पूरी भर दी जायगी तो पेडुलम अधिक दिनों तक चलेगा। इस मान्यता के अनुमार हम पैदा होने से पहले दिल के अन्दर एक चाबी भरवाकर आते हैं और जब वह चाबी खत्म हो जाती है तो दिल की धड़कन बन्द हो जाती है। कभी-कभी
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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