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________________ ११. मद्य और धूम्रपान डाक्टरों के मतानुसार संमार में जितने नशीले पदार्थ हैं, स्वास्थ्य के लिये उनमें मद्य सबसे अधिक हानिकारक है। यह जानते हुये भी मंमार में मद्यपान करने वालों की संख्या करोड़ों पर है, अनुमान लगाया गया है कि अकेले अमरोका में प्रतिवर्ष लगभग छ. अरब रुपये की शराब व्यय होती है और इसके पीछे सैकड़ों मुखी परिवार मिट्टी में मिल जाते हैं । निरन्तर शराब पीने से शरीर के लगभग मभी अवयव निकम्मे हो जाते हैं । मद्यपान से जठराग्नि मन्द पड़ जाती है । भूख कम लगने लगती है। परिणाम यह होता है कि विटामिन और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों की शरीर में भारी कमी हो जाती है। कभी-कभी फेफड़ो पर मूजन आ जाती है, हाथ पैर कापने लगते हैं, जीभ लड़ खड़ाने लगती है और अनेक मनुष्य विक्षित हो जाते हैं। देखो साइन्म टुडे मार्च १६७१ (Science Today March 1971). धूम्रपान के सम्बन्ध में विशेषकर मिगरट पीने के सम्बन्ध में डाक्टरों के अभिमत निरन्तर प्रकाशित होते रहते हैं । प्रयोगों द्वारा मिद्ध हुआ है कि प्रत्येक १२ मनुष्यों में, जिनके फेफड़ों में कैमर का रोग हुआ है, ११ व्यक्ति अत्यधिक सिगरट पीने वाले थे और १ बिना मिगरट पीने वाला। रसायनिक विश्लेषण से मिगरट के धूय में ५०० भिन्न-भिन्न प्रकार के विष पाये गये हैं । सिंगरट का जो धुनां फेफडों में जाता है और उनमें जो निकोटीन नामक विष होता है,
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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