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________________ ७४ है और न इन अण्डों में से ये जाने पर बच्चे उत्पन्न करने की क्षमता होती है । आधुनिक समय में अण्डों के सम्बन्ध में यांप व अमरीका में जो नई खोज हुई हैं, उनका विवरण पढ़कर आपको प्रतीत होगा कि अण्डे विष से भरे हैं और त्यागने योग्य हैं । कृषि विभाग - फ्लोरिडा (अमरीका) हैल्थ बुलेटिन - प्रक्तूबर १९६७ में छपा है कि १८ महीनों के वैज्ञानिक परीक्षण के बाद ३० प्रतिशत अण्डों में डी० डी० टी० नाम का विष पाया गया । डा० कैथेराइन निम्मी, डी० मी० प्रार० एन० कैलीफोनिया (यू० एस० ए० ) अपनी खोजों के आधार पर लिखती हैं कि अण्डों के सेवन से निम्न रोग शरीर में उत्पन्न हो जाते हैं। :― (१) दिल की बीमारी, (२) हाई ब्लड प्रेशर (ग्वतचाप का बढ़ना ), (३) गुरदों की बीमारी, (४) पित्ताषय में पथरी (Stones in gall bladder) बढ़िया से बढ़िया श्रण्डों की जर्दी में भी कोलइम्टिरोल Cholesterol) की मात्रा प्रत्यधिक होने के कारण उपरोक्त रोग उत्पन्न होते हैं। फलों, सब्जियों और वनस्पति तेलों में कोलइस्टिगैल बिलकुल नही होता । उपरोक्त रोगों के अतिरिक्त धमनियों में जख्म, एग्जिमा ( Eczema), लकवा ( पक्षाघात) पेचिश, अम्लपित्त (Acidity) और बड़ी प्रांतों में सड़ांध पैदा करते हैं जिससे मनुष्य का हाजमा खराब हो जाता है । - डा० जे० ई० आर० मैक्डोनाल्ड एफ० आर० एस० ( इङ्गलैंड) अपनी पुस्तक दी नेचर ऑफ डिजीज़- वोल्यूम - [ पृष्ठ १६४
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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