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________________ देते हैं ; मगर बनाने वाले सस्ते से सस्ता और घटिया से घटिया तेल इस काम के लिये व्यवहार में लाते हैं ताकि उन्हें अधिक मुनाफा हो। इस तेल को कास्टिक सोडे की सहायता से साफ करके खौलते हुये तेल में बडे दबाव और वेग के साथ हाइड्रोजन गैस छोड़ी जाती है किन्तु जब तक तेल में निकल (Nickel' नामक धातु का महीन पाउटर न मिला हो, तब तक हाइड्रोजन और तेल का सयोग नहीं होता। निकल की मौजूदगी में हाइड्रोजन तेल को जमा देती है जिसे Hydrogen ited oil कहते है। गलाकर छानने पर निकल पृथक् कर दी जाती है। किन्तु यह हाइड्रोजिनेटिड आयल रंग में बहुत ही पीला होता है और घी के नाम पर नहीं बिक सकता, अतएव इसके रंग को उड़ाने की कोशिश की जाती है । नकली घी की यह संक्षिप्त प्रक्रिया है। ___ सन् १९४७ में जब कांग्रेस ने शासन की बागडोर संभाली तो सरदार पटेल ने रेडियो पर यह घोषणा ग्वयं की थी कि चाहे किसी पूजीपति का कितना ही नुकगान क्यो न हो यदि प्रयोगों द्वारा यह गिद्ध हो गया कि वनस्पति घी एक हानिकारक पदार्थ है, तो नकली घी के सभी कारखाने बन्द कर दिये जायेंगे। इज्जत नगर (बरेली) की जीवविज्ञान सम्बन्धी प्रयोगशाला (Animal Nutrition laboratory) में श्री के० डी० खेर व पार० चन्द्रा (K. D. Kher and R Chandra)ने सफेद चूहों पर इसका प्रयोग किया और कुछ समय पश्चात् जो परिणाम निकले उनकी घोषणा की गई । अनेक चूहों को नेत्र रोग हो गये ।
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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