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हुये आटे के मुकाबले में बिजली की चक्की से निकला हुआ घाटा कहीं ज्यादा गर्म होता है। बिजली की चक्की में पिसा हुप्रा आटा एक तो तेल में सन जाता है और तेल में सना हुम्रा यह घाटा खूब गर्म हो जाता है। दोनों ही कारणों से बिजली की चक्की का आटा हाथ की चक्की के आटे के मुकाबले में बहुत जल्दी सड़ जाता है और इसी सड़े हुये आटे की रोटियां हम नित्य प्रति खाते हैं। उससे तो हानि होती ही है, साथ ही आटे का विटामिन 'E' नष्ट हो जाने के कारण मनुष्य की प्रजनन शक्ति भी कम हो जाती है । कुछ वर्ष हुये लन्दन की एक पत्रिका में बांझ स्त्रियों के लिये सन्तान देने वाला एक नुस्खा निकला था । उसमें हाथ का पिसा हुआ चोकर समेत चक्की का ग्राटा चोर ताजे अंकुर फूटे हुये गेहूं के दाने मिलाकर रोटी बना के खाने की सिफारिश की गई थी और यह दावा किया गया था कि कुछ समय तक इस प्रकार की रोटी खाने से बॉभ स्त्री के भी सन्तान हो सकती है ।
आजकल सभी शहरों में बिजली की चक्कियां लगी हुई है और चूंकि इसमें प्राटा सस्ता पिस जाना है इसलिये हमारा ध्यान इस प्रणाली के दोपों की तरफ नहीं जाता। परिणाम यह हुआ है कि समाज में एक बहुत अच्छी प्रथा का अवमान हो गया । एक जमाना था जब गरीब और अमीर सभी घरों में स्त्रियां नूनाधिक अपने हाथ से आटा पीमती थी । यह
उनके लिये एक अच्छा हलका व्यायाम होता चलन अधिक होने के कारण व्यायाम का
था । पर्दे का कोई और रूप