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________________ ૬ उनके लिये उपयुक्त नहीं बैठता था । इस व्यायाम के द्वारा वह हिस्टीरिया जैसे भयंकर रोगों से मुक्ति पाती थीं । प्राज घर घर में विशेषकर पढ़ी-लिखी समाज में नवयुवतियां हिस्टीरिया से पीड़ित हैं । यह रोग मजदूर पेशेवर स्त्रियों में नहीं पाया जाता । अतः हाथ के पिसे हुए आटे का व्यवहार न करने के कारण हम प्रपने स्वास्थ्य को कई प्रकार से खराब कर रहे हैं । अगर भगवान हमें सुबुद्धि दे तो पुनः एक बार हमको एक स्वर में कहना चाहिये 'चल री चकिया घर घर घर ।' नोट आज हमारी रक्षक सरकार ही भक्षक का कार्य कर रही है । समाचार पत्रों में एक दुखद समाचार प्रकाशित हुआ है कि खाद्यान्न की कमी होने के कारण सूखो हुई मछलियों का आटा सरकार तैयार कराकर बाजार में बिकवा रही है और अब उसकी दुर्गध भी नष्ट कर दी गई है । ऐसी हालत में यह और भी जरूरी हो जाता है कि हम अपने घर की चक्की का पिसा हुआ आटा ही व्यवहार में लावें । - २. चावल दूसरा खाद्य पदार्थ है चावल । इस युग में सभी चीजें या तो नकली बन गई हैं या उनमें मिलावट होती है। मनुष्य मनुष्यत्व से इतना गिर गया है कि अपने स्वार्थ में अंधा होकर वह यह सोचता ही नहीं कि मेरे ऐसा करने से प्राणियों का कितना अहित हो सकता है । हल्दी में पीली मिट्टी,
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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