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________________ ४४ रही हो और उसके पास चुम्बकीय सुई लाई जावे तो वह तुरन्त विचलित हो जाती है । इमसे प्रकट होता है कि धारावाही तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र विद्यमान है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि धारावाही तार चुम्बक का काम कर रहा है | ( \ Movement of charge is current or Charge in motion is Current) आइन्सटाइन ने निम्न उदाहरण पेश किया : एक मनुष्य के सामने एक स्टेशनरी इलैक्ट्रिक चार्ज रखा है और वह प्रयोग द्वारा यह जानना चाहता है कि उस विद्युत प्रवेश के चारों ओर क्या कोई चुम्बकीय क्षेत्र है ? वह एक चुम्बकीय सुई उसके पास लाता है, वह सूई विचलित नही होती अर्थात् किमी दिशा में प्राकपित नही होती । प्रयोग कर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंत्रता है कि इसके चारों ओर कोई चुम्बकीय क्षेत्र नही है । विसी दूरवर्ती ग्रह पर बैठा हुआ एक दूसरा वैज्ञानिक पृथ्वी पर धरे हुये उसी स्टेशनरी चार्ज के ऊपर प्रयोग करता है यह जानने के लिये कि उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र है या नही; और पृथ्वी पर धरा हुआ वह चार्ज पृथ्वी की गति के कारण वह स्वयं गतिमान है और गतिमान चार्ज के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र होता है। इसलिये दूरवर्ती ग्रह पर बैठे हुये वैज्ञानिक को यह निष्कर्ष मिलता है कि उस चार्ज के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र है । फलतः हम यह कह सकते हैं कि पृथ्वी पर बैठे हुये वैज्ञानिक की अपेक्षा चार्ज के चारों श्रोर चुम्बकीय क्षेत्र नहीं है श्रीर पृथ्वी से बाहर दूरवर्ती प्रेक्षक
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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