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________________ की अ.क्षा चुम्बकीय क्षेत्र है। परस्पर विरोधी इन दो निष्कर्षों का समाधान कैसे हो सकता है ? आइन्सटाइन के शब्दों में दोनों ही निष्कर्ष सत्य हैं, लेकिन वास्तविक सत्य या निश्चयात्मक सत्य नहीं। उन्हें आपेक्षिक सत्य तो कह सकते हैं, निश्चयात्मक सत्य का किसी भी प्रयोग द्वारा पता नहीं चल सकता। आइन्सटाइन के शब्दों में हम केवल प्राऐक्षिक सत्य ही जान सकते हैं, निश्चयात्मक सत्य केवल त्रिकालज्ञ भगवान ही जानते हैं । (IVe can only know the relative truth, the Absolute t'nth is known only to the Universal Observer) हमारे जितने भी वक्तव्य होते हैं वे किसी न किमी की अपेक्षा से होते हैं, उदाहरणस्वरूप-यदि हम रेडिय ट्राममीटर द्वारा अखिल दुनिया से यह सवाल पूछे कि इस समय क्या बजा है ? तो स्पष्ट है कि दुनिया के विभिन्न भागों से प्राये हुये उत्तर एक दूसरे से मवथा भिन्न होंगे। यदि हिन्दुस्तान में रहने वाले ने उत्तर दिया कि इस समय गत्रि के ८॥ बजे हैं तो लन्दन से बोलने वाला कहेगा कि इस समय दिन के ३ बजे हैं। दोनों का उनर भिन्न-भिन्न होने पर भी अपनी-अपनी अपेक्षा से सही है किन्तु पूछने वाले को इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिला कि इस ममय क्या वजा है ? पूछने वाला यह नहीं पूछ रहा कि इस समय हिन्दुस्तान में क्या बजा है या लन्दन में क्या बजा है। उसका तो प्रश्न केवल इतना है कि इस समय क्या बजा है ? जैनागम की भाषा में इसका उत्तर अव्यक्त है अर्थात् वह शब्दों द्वारा
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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