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________________ Proton और Flectron कहते है, विद्यमान रहते हैं। जो शक्ति Electron को निरन्तर Proton के चारों ओर गतिमान अवस्था में रखती है और एक दूसरे से पृथक नहीं होने देती, वह शक्ति विद्युत चुम्बकीय शक्ति (Force of Electre -Magnetism) कहलाती है और जिस द्रव्य के माध्यम से यह शक्ति काम करती रहती है उमे पील्ड (fieti) कहते हैं । दूसरे शब्दों मे इम अधर्म द्रव्य के माध्यम से कार्य करने वाली शक्तिया परमाण के अन्दर इलेक्ट्रोन (Electron) को प्रोटौन (Proton) से पृथक नही होने देती और परमाण का स्वरूप यथावत बना रहता है । इसी प्रकार स्कन्धों के अन्दर परमाणु स्थित रहते हैं। यदि यह द्रव्य म्कन्धो के अन्दर विद्यमान नहीं होता तो स्कन्ध बिखर पडते । इसी प्रकार क्रिष्टल (Crystal) के अन्दर स्कन्ध अपने-अपने स्थान पर इसी माध्यम के द्वारा बने रहते हैं। अणुप्रो और स्कन्धों के अन्दर जो फील्ड (Fiel-1) रहता है वह माइन्म के शब्दों में विद्युत-चुम्बकीय (Ek cirt, Magnetic) कहलाता है और जब पुद्गल का पिण्ड बड़ा होता है तो फील्ड (Freld) को गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (Gravitational fie ltd) कहते हैं । आइन्सटाइन ने २२ वर्ष तक निरन्तर कार्य करने के पश्चात् एक नया सिद्धान्त दुनिया के सामने रखा, जिसे गुरुत्वाकर्षण व विद्युत-चुम्बकीय शक्तियों का समन्वित सिद्धात (Unified field theory of Gravitation and ElectroMagnetism) कहते हैं । इम सिद्धान्त में यह बतलाया गया है कि गुरुत्वाकर्षण (Gravitation और विद्युत-चुम्ब
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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