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________________ ३२ कीय शक्ति (Electro Magnetism) की शक्तियां एक ही समीकरण के द्वारा व्यक्त की जा सकती हैं अर्थात् ये दोनों एक ही हैं । इसी समन्वित सिद्धान्त (Unified field) का नाम हमारे धर्म ग्रन्थों में अधर्म द्रव्य कहकर पुकारा गया है श्रौर उसका लक्षण यही बतलाया गया है कि यह एक प्रपौद्गलिक (Non-material) अरूपी (formless) माध्यम है जो छोटी से छोटी अथवा बड़ी से बड़ी वस्तुनों के एक साथ रहने में सहायक होता है । । पुनः एक बार यह बतलाना आवश्यक है कि षट् द्रव्यों के निरूपण में अधर्म शब्द का अर्थ पाप नहीं है । यह एक पारिभाषिक शब्द है जिसे विशेष अर्थों में प्रयुक्त किया गया है । ब्रह्माण्ड के छ: मूलभूत पदार्थों में से यह एक है और इसका कार्य कौसमिक यूनिटी (Cosmic Unity ) बनाये रखना है । इसी धर्म द्रव्य (field of force) के सहारे ब्रह्माण्ड के भिन्न-भिन्न पिण्ड अपने-अपने स्थानों पर अवस्थित रहते हैं । इसी के सहारे स्कन्धों में परमाणु और परमाणुत्रों में स्निग्ध और रुक्ष कण व्यवस्था बनाये रखते हैं। अगर यह द्रव्य न होता तो संसार कौसमौस (Cosmos ) की जगह कैयास (Chaos ) होता अर्थात् समस्त ब्रह्माण्ड में अव्यवस्था फैल जाती ।
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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