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________________ ३४५०.॥ ३२५० ॥ ५४००" नेमकीर्ति (१२७५ ई.) बृहत्कल्पवृत्ति ४२६०० ॥ माणिक्यशेखरसूरि (१५वीं शती)मावश्यकनियुक्तिदीपिका महेश्वरसूरि (१५ वीं शती) आचारांगवीपिका विमनसूरि (१६३२ ई.) उत्तराध्ययनव्याख्या १६२५५ ॥ समयसुन्दरसूरि (१६३४ ई.) दशवकालिकदीपिका मानविमलसूरि (१८ वीं शती) प्रश्नव्याकरण वृत्ति ७५००, संबविजयगणि (१६१७ ई.) कल्पसूत्र-कल्पप्रदीपिका विनयविजय उपाध्याय(१६३९ई.) कल्पसूत्र सुबोषिका समयमुन्दरगणि (१७वीं शती) कल्पसूत्र-कल्पलता ७७०० ॥ शान्तिसागरगणि (१६५० ई.) कल्पसूत्र कौमुदी ३७०७, २. कर्म साहित्य मूलकर्म साहित्य प्राकृत में लिखा गया है पर उस पर टीका साहित्य संस्कृत में भी मिलता है । शाम कुण्ड ने कर्म प्राभूत और कषाय प्राभूत पर प्राकृत-संस्कृत-कन्नड़ मिश्रित भाषाओं में बारह हजार श्लोक प्रमाण टीका लिखी पर वह आज उपलब्ध नहीं । इसी प्रकार समन्तभद्र ने भी कर्मप्राभूत पर ४८००० श्लोक प्रमाण सुन्दर संस्कृत भाषा में टीका लिखी, पर वह भी आज मिलती नहीं । उपलब्ध टीकाओं में कर्मप्रामृत (षट्खण्डागम) पर वीरसेन द्वारा लिखी प्राकृत-संस्कृत-मिश्रित, धवला टीका उल्लेखनीय है जो ७२००० श्लोक प्रमाण है । इसके बाद उन्होंने कषायप्राभूत की चार विभक्तियों पर २०००० श्लोक प्रमाण जयधवला टीका लिखी जो पूरी नहीं हो सकी । उस अधूरे काम को जयसेन (जिनसेन) ने ४०००० श्लोक प्रमाण में लिखकर पूरा किया। कषायपाहुड की रचना आचार्य गुणधर (ई. द्वितीय शती) ने तथा कर्मप्राभूत (षट्खण्डागम) की रचना पुष्पदन्त-भूतबलि (प्रथम शताब्दी) ने शौरसेनी प्राकृत में की थी। यहां कषायप्राभूत पर संस्कृत में लिखी गई वीरसेन. जिनसेनकृत जयषवला टीका (शक सं. ७३८) ही विशेष उल्लेखनीय है। यह साठ हजार श्लोक प्रमाण वृहत्काय ग्रन्थ है। ये दोनों ग्रन्थ दिगम्बर सम्प्रदायसे संबद्ध हैं। उत्तरकालीन पंचसंग्रह आदि कर्मग्रन्थ इन्हीं के आधार पर लिखे गये हैं। परतण्डागम और कषायपाहड की भाषा शौरसेनी है जिसका पूर्वरूप हमें अशोक के पिरनार शिलालेख (ई.पू. ३ री शती) में मिलता है। धवला टीका मणिप्रवाल शैली (गबात्मक प्राकृत तथा क्वचित् संस्कृत) में लिखी गई पवनलका १, प्रस्तावना, १.३८
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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