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________________ जेन-दर्शन १४६] लाते हैं । तथा ज्ञान दर्शन सुख वीर्य स्पर्श रस गंध वणे गतिहेतुत्व स्थितिहेतुत्व, अवगाहनहेतुत्व, वर्तनाहेतुत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्त्तत्व, अमूर्त्तत्व ये सोलह विशेष गुण कहलाते हैं । इनमें से जीव द्रव्य में अस्तित्व वस्तुत्व द्रव्यत्व प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व प्रदेशवत्त्व चेतनत्व अमूर्तत्व ये आठ सामान्य गुण रहते हैं तथा ज्ञान दर्शन सुख वीर्य चेतनत्व और अमूर्त्तत्व ये छह विशेष गुण रहते हैं। पुद्गल में अस्तित्व वस्तुत्व द्रव्यत्व प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व, प्रदेशवत्व, अचेतनत्व और मूर्तत्व ये आठ सामान्य गुण रहते हैं तथा स्पर्श रस गंध वर्ण मूर्त्तत्व अचेतनत्व ये छह विशेष गुण रहते हैं। धर्म द्रव्य में अस्तित्व वस्तुत्व द्रव्यत्व प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व प्रदेशवत्व अचेतनत्व अमूर्त्तत्व ये आठ सामान्य गुण रहते हैं तथा गतिहेतुत्व अमूर्त्तत्व अचेतनत्व ये तीन विशेष गुण रहते हैं । अधर्म द्रव्य में अस्तित्व वस्तुत्व द्रव्यत्व प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व प्रदेशवत्व अचेतनत्व अमूर्तत्व ये आठ सामान्य गुण और स्थितिहेतुत्व अमूर्तत्व अचेतनत्व ये तीन विशेष गुण रहते हैं । आकाश में अस्तित्व वस्तुत्व द्रव्यत्व प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व प्रदेशवत्व अचेतनत्व और अमर्त्तत्व ये आठ सामान्य गुण रहते हैं तथा अवगाहनहेतुत्व अचेतनत्व अमूर्त्तत्व ये तीन विशेष गुण रहते हैं। कालद्रव्य में अस्तित्व वस्तुत्व द्रव्यत्व प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व अचेतनत्व अमूर्त्तत्व प्रदेश. वत्व ये आठ सामान्य गुण रहते हैं तथा वर्तनाहेतुत्व अमूर्त्तत्व और अचेतनत्व ये तीन विशेष गुण रहते हैं। इस प्रकार द्रव्यों के गुण हैं। वत्व ये आठ साल अगुरुलघुत्व अचेतनत्तव्य में अस्तित्व
SR No.010212
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalaram Shastri
PublisherMallisagar Digambar Jain Granthmala Nandgaon
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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