________________
चिकित्सा शास्त्र। श्रीपूज्यपादाचार्यश्कृत अनुपम चिकित्सा शास्त्र हैं,
वाग्भट्ट जैसे अन्य धरणीमें अधिक विख्यात हैं। करते रहे सब ही चिकित्सा शास्त्रके अनुसार ही,
छोटे. बड़े सब रोग मिटते थे सदा सोचो यही। है वैद्यगाहार ग्रन्थ अद्भुत और औषध-कल्प है,
हममें चिकित्सा शास्त्रका साहित्य भी कव अल्प है? उस काल इस संसारमें थी कौन सी ऐसी व्यथा, जिसपर हमारी औषधी जातीकदाचित् हो वृथा।
प्राकृत-भाषा। कितने यहांपर अन्ध इसके मोद-प्रद उपलब्ध हैं,
अवलोक जिसकी रम्य रचना विज्ञ होते स्तब्ध हैं। गोमहसार त्रिलोकसारादिक उसीके रत्न हैं, उन पूर्वजोंके ही सदा ये सर्व योग्य प्रयत्न हैं।
१ रस तन्त्र, गद्यकसार संग्रह और वैद्यकयोग संग्रह ये तीन ग्रन्थ उक्त आचार्यके बनाये हुये हैं।
२ यह गून्य कुन्दकुन्दाचार्यका बनाया हुआ है। ३ इन्द्रनन्दिमहारक कृत।