________________
B
काव्य।
सारे हमारे काव्य हैं परिपूर्ण बहु-पाण्डित्यसे,
सौन्दर्य मंडितरस अलंकृत पद प्रबल लालित्यसे। जिसके पठनसे नर-हृदय होता रहा हर्षित सदा, है काव्य अतिशय मोद-प्रद सबको जगतमें सर्वदा। सचमुच हमारे काव्य जग-विश्रुत अपूर्व अपार हैं, नहिं अन्य काव्योंकी तरह शृङ्गारके आगार हैं। इन जैन काव्योंमें सदा नव रस यथास्थल हैं अहा!
पर अन्तमें प्रत्येकके बैराग्यका सोता बहा । नहिं काव्य हैं उत्कृष्ट जगमें मन लुभानेके लिये, हैं किन्तु वे तो पुण्यकी महिमा बतानेके लिये। अवज्ञात होती है उसे इनमें विशेष विशेषता, निष्पक्ष हो साहित्यकी ही दृष्टिसे जो देखता। है गद्यकी रचना अलौकिक विश्वमें कादम्बरी,
वह गद्य चिन्तामणि विपुल पांडित्यसे पूरी भरी। क्या है न चन्द्रप्रभ-चरित रघुवंशकी ही जोड़का,
है ग्रन्थ अन्योंमें कहां पुरुदेव चम्पू जोड़का । उस अभ्युदयके सामने क्या वस्तु काव्य किरात है? पद रम्यता,उपमा तथा गुरुता विपुल विख्यात है।