________________
अध्याय
11(ख)
जैन धर्म-हास की रोक ___ थाम कैसे हो
राष्ट्र कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त ने भारतीय म माज को चेतावनी-रूप एक स्थान पर कहा थाः
'हम कौन थे, क्या हो गये है और क्या होगे अभी?
मानो विचारे आज मिलकर ये समस्याए सभी' । यदि रोग का निदान समझ मे आ जाये तो उसका इलाज सहज ही हो सकता है। यदि उन्हे दूर कर दिया जाये तो पुनः विकास मार्ग की ओर अग्रसर हा जा सकता है। जैन धर्म के ह्रास को रोकने के लिये कुछ उपाय नीचे कहे जाते है.
(1) भिन्नता में एकता:शताब्द और सहस्राब्द व्यतीत हो गये भिन्नता का अभ्यास करते हए । अब उसी भिन्नता में एकता के दिग्दर्शन करने का प्रयास होना चाहिए । दिगम्बर, श्वेताम्बर, स्थानकवासी, तेरापथी आदि नि.सकोच अपनी मान्यताए कायम रखे परन्तु विवादास्पद प्रश्नो के सम्बन्ध मे दुराग्रह करना छोड़ दे जैसे:
(अ) मुक्ति अचेलक को या सचेलक को ? (आ) स्त्री को मोक्ष है या नहीं ? (इ) मूर्ति पूजा ग्राह्य है या वर्जित ? (ई) गेहू के दाने में बीज है या नहीं ? (उ) मुखवस्त्रिका मुख पर डोरे के साथ धारण की जाच या