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प्रशंसा, इसका निर्णय हम आप पर ही छोड़ते हैं । परन्तु इतनी ललोचप्पो के बावजूद भी 'महावीर जयन्ती की छुट्टी मजूर नही की गई।
इसके विपरीत 'बुद्ध पूर्णिमा' को छुट्टी बिना मांगे सारे भारतवर्ष में घोषित की गई और महात्मा बुद्ध का 25 वी शताब्दी समारोह बडे सजधज से सरकारी स्तर पर मनाया गया जिसमें भारत सरकार का करोड़ो रुपया खर्च हुआ।
सुभाष बाबू ने एक बार कहा था-तुम खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' । यह सच है कि बिना बलिदान दिये, बिना त्याग किये, केवल कागजी घोडे दौड़ा कर, सफलता नही मिला करती । वस्तुत: आत्मदर्शी होने की बजाय हमने आत्मघात ही किया है ।
समस्या गम्भीर है और विचारणीय है ।