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(केवल भारत सीमा विजय) को इतिहासकार बड़ा महत्व देते हैं और कहते हैं
"सिकन्दर की वियज "पश्चिम" की पूर्व" पर विजय है"।
तो क्या चन्द्रगुप्त की सेल्यूकस पर विजय 'पूर्व" की "पश्चिम" पर महान् विजय नहीं है ? ___ आज के भारत को चद्रगुप्त की इस विजय से एक बात सीखनी चाहिये कि केवल बाहुबल या अस्त्र-शस्त्र- बल से ही रण नही जीता जा सकता, बल्कि उसमे बुद्धि-कौशल भी चाहिये । युद्ध नीति धर्मनीति से एक अलग चीज है। युद्ध-नीति को न समझने से भारत को शताब्दियो तक पददलित और तिरस्कृत होना पड़ा है। ___ उत्तरी भारत पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् चद्रगुप्त ने दक्षिण को भी अपने राज्याधिकार में किया ऐसा जैन इतिहास मानता है, आधुनिक इतिहासज्ञ भी तथ्य को अब स्वीकार करने लगे है ।
उस जमाने में जबकि रेल, मोटर, हवाई जहाजजैसी तेज सवारी तथा तार व बेतार जैसे विद्य त गति से समाचार पहुचाने वाले साधन सुलभ नही थे तो भी चाणक्य की सहायता से ऐसा सु दर और अद्वितीय राज्यशासन कायम किया गया जो आगामी शासको के लिये 'पथप्रदर्शक' बना । चाणक्य ने निम्न प्रकार से एक राजा का कर्तव्य निर्दिष्ट करके चंद्रगुप्त को तदनुकूल दीर्घकाल तक राज भोग करने के योग्य बना दिया था :
"जो राजा पढ़ लिखकर प्राणिमात्र के हित में तत्पर रहता है और प्रजा का शासन तथा शिक्षण करता है, वह चिरकाल तक पृथ्वी का उपभोग करता है"
(कौटिल्यअर्थ शास्त्र से उद्धृत)