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माघार (५४); बौद्धधर्म में अहिंसा का आधार (५६); गीता में हिंसा के आधार (५६); जैनागमों में अहिंसा को व्यापकता (५७); अहिंसा क्या है ? (५७); द्रव्य एवं भाव अहिंसा (५८); हिंसा के प्रकार (५८); मात्र शारीरिक हिंसा (५८); मात्र वैचारिक हिंसा (५८); वैचारिक एवं शारीरिक हिंसा (५९); शान्दिक हिंसा (५९); हिंसा को विभिन्न स्थितियां (५९); हिंसा के विभिन्न रूप (६०); संकल्प जा (संकल्पी हिंसा) (६०); विरोषजा (६०); उद्योगजा (६०); आरम्भजा (६०); हिंसा के कारण (६०); हिंसा के साधन (६०); हिंसा और अहिंसा मनोदशा पर निर्भर (६०); अहिंसा के बाह्य पक्ष की अवहेलना उचित नहीं (६३); पूर्ण अहिंसा के आदर्श की दिशा में (६४); पूर्ण अहिंसा सामाजिक सन्दर्भ में (६८); अहिंसा के सिद्धांत पर तुलनात्मक दृष्टि से विचार (६९); यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म में अहिंसा का अर्थ विस्तार (७१); भारतीय चिन्तन में अहिंसा का अर्थ विस्तार (७१); अहिंसा का विधायक रूप (७५); बौद्ध एवं वैदिक परम्परा में अहिंसा का विधायक पक्ष (७६); हिंसा के अल्प-बहुत्व का विचार (७७); अनाग्रह ( वैचारिक सहिष्णुता) (७९); जैनधर्म में अनाग्रह (७९); बौद्ध आचार-दर्शन में वैचारिक अनाग्रह (८२); गीता में अनाग्रह (८३) वैचारिक सहिष्णुता का आधार-अनाग्रह (अनेकान्त दृष्टि) (८४); धार्मिक सहिष्णुता (८५); धर्म एक या अनेक (८५); अनुचित कारण (८६); उचित कारण (८६); गजनैतिक सहिष्णुता (८८); सामाजिक एवं पारिवारिक सहिष्णुता (८.); अनाग्रह की अवधारणा के फलित (८९); अनासक्ति ( अपरिग्रह) (९०); जैन धर्म में अनासक्ति (९०); बौद्धधर्म में अनासक्ति (९२); गीता में अनासक्ति (९३); अनासक्ति के प्रश्न पर तुलनात्मक दृष्टि से विचार(९४); अध्याय : ६ सामाजिक धर्म एवं दायित्व ९८-११२
सामाजिक धर्म (९८); ग्राम धर्म (९८); नगर धर्म (९८); राष्ट्र धर्म (९९); पाखण्ड धर्म (९९); कुल धर्म (१००); गणधर्म (१००); संघधर्म (१००); श्रुत धर्म (१०१); चारित्र धर्म (१०१); अस्तिकाय धर्म (१०१); जैनधर्म और सामाजिक दायित्व (१०१); जैन मुनि के सामाजिक दायित्व (१०२); नीति और धर्म का प्रकाशन (१०२); धर्म की प्रभावना एवं संघ को प्रतिष्ठा की रक्षा (१०२); भिक्षु-भिक्षुणियों की सेवा एवं परिचर्या (१०२); भिक्षुणी संघ का रक्षण (१०३); संघ के आदेशों का परिपालन (१०३); गृहस्थ वर्ग के सामाजिक दायित्व (१०३); भिक्षु-भिक्षुणियों की सेवा (१०३); परिवार की सेवा (१०३); विवाह एवं सन्तान प्राप्ति (१०४);