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संक्षिप्त इतिहास]
१. श्री विमलनाथस्तवन-श्री जयलाल मुनिकृत; २. मेघकुमार कथानक-अज्ञातकविकृत; ३. गर्भविचारस्तोत्र (?)-श्री पनतिलक कृत; ४. श्री पार्वजिन विज्ञप्तिका-अज्ञात कविकृत; ५. अजितना शांति विवाहला स्तोत्र-श्री मिरनंदण उव
झाय कृत; ६. स्तंभन पार्श्वनाथ स्तोत्र-श्री अभयदेवकृत; ७. खैराबाद पार्श्व जिनस्तवन-श्री गणिक्षांतिरंगकृत; ८ पाश्र्वस्तवन-श्रीगुणसागर कृत; ९. जिनस्तवन-(नं०५ के अनुरूप है) १०. वीरस्तवन- , (अपूर्ण)
'विमलनाथस्तवन' का प्रारंभिक अंश अनुपलब्ध है; क्योंकि गुटका के वे पत्र नष्ट हो गये हैं। स्तवन तेरहवें छंद से प्रारंभ होता है, जो इस प्रकार है"तुम दरसनि मन हरषा, चंदा जेम चकोरा जी; राज रिधि मांगउ नहीं, भवि भवि दरसन तोरा जी ॥१३॥ विम०॥ मात पिता वनिता भाई, स्वारथि सवइ संगाई जी; तुम्ह सम प्रभु कोई नहीं, इहरत परति सहाई जी ॥१४॥विम०॥
वैराटिपुर श्री विमल जिनवर सयल रिधि सिधि दायगो।' इम थुणिउ भत्तिहि नियइ सत्तिहि, तेरमउ जिणनायगो ॥१७॥ श्री सयल संघह करण मंगल, दुरिय पाप निकंदणो । श्री जयलाल मुणंद जंपह, देहि नाण सुदंसणो ॥१८॥"
1. इससे प्रकट है कि वैराटपुर (जयपुर रियासत ) में विमलनाथ भगवान् की प्रतिमा प्रसिद्ध थी।