________________
[हिन्दी जैन साहित्य का . यासौं ममत निवारके, नित रहिये प्रभु अनुकूल हो। भूधर ऐसे ख्यालका भाई, पलक भरोसा भूल हो । काया० ॥४॥
(१२) राग सोरठ भगवन्त भजन क्यों भूला रे ॥ टेक ॥ यह संसार रैन का सुपना, तन धन वारि-बबूला रे ॥ भगः ॥१॥ इस जोवन का कौन भरोसा, पावक में तृण पूला रे ! कास कुदार लिये सिर ठाडा, क्या समझे मन फूला रे ॥ भग० ॥२॥ स्वारथ साथै पाँच पाँव तू, परमारथ को लूला रे । कहुँ कैसे सुख पैहै प्राणी, काम करै दुख मूला रे ॥ भग० ॥३॥ मोह पिशाच यायो मति मारे, निज कर कंध वमूला रे । भज श्री राजमतीवर भूधर, दो दुरमति सिर धूला रे ॥ भग• ॥४॥
__ (१३) राग ख्याल जग में जीवन थोरा, रे अज्ञानी जागि ॥ टेक ॥ जनम ताद तरु से पदै, फल संसारो जीव । मौत मही में भाय हैं, और न ठौर सदीव ॥ जग में० ॥१॥ गिर-सिर विवला जोइया. चहुँ दिशि वाजै पौन । बलत भचंमा मानिया, बुसत अचंभा कौन ॥ जग में० ॥२॥ जो छिन जाय सरे आयू में, निशि दिन के काल । बोधि सके तो मला, पानी पहिली पाल ॥ जग में० ॥३॥ मनुष देह दुर्लभ्य है, मति चूकै यह दाव । भूधर राजुलकत ही, शरण सिताबी भाव ॥ जग में० ॥४॥
१. जक । २. पास का पूरा । ३. नेमिनाथजी । ४. दीपक , चले। ६. निकट भावे । ७. श्रीनेमिनावजी।