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[हिन्दी नैन साहित्य का ___पं० नेमिचन्द खंडेलवाल जयपुर निवासी ने कई पूजायें रची हैं।
पं० मनराखनलाल जामसा निवासी कृत 'शुद्धात्मसार छन्दबद्ध' (१८८४) है।
पं० हरकृष्णलाल हसागढ़ वासी ने सं० १८८७ में 'पंचकल्याणक पूजा' रची थी।
पं० नंदलाल छावड़ा और ऋषभदास तिगोता ने मिलकर सं० १८८८ में 'मूलाचार पचनिका' लिखी थी।
पं० अमरचन्द लोहाड़ा ने सं० १८९१ में वीसविहरमान पूजा आदि रची थीं।
पं० बखतावरमल्ल दिल्ली के निवासी ने 'जिनदत्त चरित्र भाषा' (१८९४) नेमिनाथ पुराण भाषा (१९०९) आदि ग्रन्थ रचे थे। ___पं० सर्वसुखराय जयपुर ने 'समोसरण पूजा' (१८९६) रची थी। ___ कवि बूलचंद * कृत 'प्रद्युम्न चरित' सं० १८४३ का दिल्ली के सेठ का कूचा वाले मन्दिर में है ।
मनसुख सागर x ने सं० १८४६ में सोनागिरि पूजा, व रक्षाबन्धन पूजा रची थी।
त्रिलोकेन्द्र कीर्ति x ने सं० १८३२ में सामायिक पाठ टीका बनाई थी। कवि लालजी xने सं० १८३४ में समवसरण पाठ रचा था।
भा० हि. जै० ग्रं. ना. पृ. ६-१७ । 8 अनेकान्त. वर्ष ४ पृ. ४७४ । x भनेकान्त, वष ५ पृ. ५६५-४६॥