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________________ जैन भक्ति : प्रवृत्तियाँ एक भी स्थान ऐसा नहीं है, जहाँ पतिको पत्नीके लिए व्याकुल दिखाया गया हो। सूरदास आदि सगुणधाराके भक्त कवियोंके सहस्रों पदोंमे-से किसी-किसीमे पृथक्-पृथक् तो रूपक हैं, किन्तु उनकी कोई ऐसी समूची रचना नहीं, जो रूपक संज्ञासे अभिहित होती हो। जैन कवियोंकी अनेक कृतियाँ समूचे रूपमे 'रूपक' है । उनमे पाण्डे जिनदासका 'मालीरासो', उदयराज जतीका 'वैद्यविरहिणी प्रबन्ध', कवि सुन्दरदासका 'धर्मसहेली', पाण्डे रूपचन्दका 'खटोलना गीत', हर्षकीर्तिका 'कर्महिण्डोलना', बनारसीदासका 'माझा', अजयराजका 'चरखाच उपई' एवं 'शिवरमणी विवाह' और भैया भगवतीदासका 'सूआबत्तोसी' और 'चेतनकर्मचरित्र' प्रसिद्ध रूपक काव्य है। कवि बनारसीदासका 'नाटकसमयसार' एक उत्तम रूपक है । उसमे सात तत्त्व अभिनय करते है । जीव नायक और अजीव प्रतिनायक है । ऐमी सरस कृति हिन्दीके भक्ति-काव्यको एक अनूठी देन है। सूरसागरको भांति जैन कवियोके पदोमे से एक-एकमे भी 'रूपक' सन्निहित है । भूधरदासके "मेरा मन सूवा, जिन पद पीजरे वसि, यार लाव न वार रे", "जगत जन जूवा हारि चले", "चरखा चलता नाही, चरखा हुआ पुराना", द्यानतरायके "परम गुरु बरसत ज्ञान झरी", "ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन", भैयाके “काया नगरी जीवनृप, अष्टकर्म अतिजोर" में रूसकोका सौन्दर्य है। जैन कवियोंके रूपक अधिकांशतया प्रकृतिसे लिये गये है। अतः इनमे सौन्दर्य है और शिवत्व भी। वे निर्गुनिए सन्तोकी भांति कलाहीन भी नही है । देवाब्रह्मके एक पदमे चेतन और सुमतिकी होलोसे सम्बन्धित एक रूपक देखिए', "चेतन सुमति सखी मिल, दोनों खेलो प्रीतम होरी ॥टेक॥ समकित ब्रत कौ चौक वणावौ, समता नीर भरावौ जी। क्रोध मान की करो पोटली, तो मिथ्या दोष भगा जी ॥१॥ ग्यान ध्यान की ल्यो पिचकारी, तो खोटा भाव छुड़ावो जी। आठ करम को चूरण करिकै, मै कुमति गुलाल उड़ावो जी ॥२॥ जीव दया का गीत राग सुणि, संजम भाव बँधावो जी । बाजा सत्य वचन थे बोलो, तो केवल वांणी गावो जी ॥३॥ दान सील तो मेवा की ज्यौं, तपस्या करो मिठाई जी। 'देवाब्रह्म' या रति पाई छै, तौ मन बच काया जोड़ी जी ॥४॥" १ देवाब्रह्म, पद, बधीचन्दजीका मन्दिर, जयपुर, पदसंग्रह, ४६३, पत्र २८वॉ।
SR No.010193
Book TitleHindi Jain Bhakti Kavya aur Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain, Kaka Kalelkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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