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________________ हिन्दी जैन भक्ति-काव्य और कवि यहाँ कवि पापके क्षयसे जिस पुण्यके उदयकी कल्पना कर रहा है, वह पुत्रपौत्रादिक, धन-सम्पत्ति और रोगक्षयसे अधिक सम्बन्धित है। हिन्दीके कवि प० दौलतरामने केवल इतना ही कहा कि भगवान के दर्शनसे जिस दिव्य आनन्दकी अनुभूति होती है, उसके समक्ष सांसारिक सुखजन्य आनन्द तो अत्यधिक गौण है । भक्तिसे अंगोंकी सार्थकता 'भक्ति'मे समर्पणका भाव प्रधान होता है। भक्त अपने जीवनको तभी सार्थक मानता है, जब वह भगवान्के चरणोंपर समूचा चढ़ जाये । चरणोंपर चढ़ जानेका तात्पर्य यह नहीं है कि भक्त अपनी बलि दे दे । आगे चलकर तान्त्रिक सम्प्रदायमे बलिको भक्तिके रूपमे स्वीकार किया गया। यह समर्पणवाले पहलकी विकृत व्याख्या थी। यद्यपि तान्त्रिक सम्प्रदायका प्रभाव जैन देवियोंपर दिखाई देता है, किन्तु वह बलि और मास-भक्षण तक नहीं पहुंच पाया है। अत. जैन भक्त कवियोने अपनेको समर्पित तो किया, किन्तु बलिके रूपमें नहीं। जैन भक्तके समर्पणमे एक निराला सौन्दर्य था। उसने अपने प्रत्येक अंगकी सार्थकता तभी मानी जब वह जिनेन्द्र की भक्तिमे तल्लीन हो । आचार्य समन्तभद्रने 'स्तुतिविद्या' मे लिखा है, "प्रज्ञा वही है, जो तुम्हारा स्मरण करे, शिर वही है, जो तुम्हारे पैरोंपर विनत हो, जन्म वही है, जिसमे आपके पाद-पद्मका आश्रय लिया गया हो, आपके मतमें अनुरक्त होना ही मांगल्य है, वाणी वही है, जो आपकी स्तुति करे और विद्वान् वह ही है, जो आपके समक्ष झुका रहे।" वप्पभट्ट सूरिने भी 'जिनस्तवनम्' मे लिखा है, "वे आँखें नहीं जो आपका दर्शन नही करतीं, वह चित्त नही जो आपका स्मरण नहीं करता, वह वाणी नहीं जो आपके गुणोको नहीं गाती और प्रज्ञा सा स्मरतीति या तव शिरस्तद्यन्नतं ते पदे जन्मादः सफलं परं भवभिदी यत्राश्रिते ते पदे । माङ्गल्यं च स यो रतस्तव मते गीः सैव या त्वा स्तुते ते ज्ञा या प्रणता जनाः क्रमयुगे देवाधिदेवस्य ते ॥ स्तुतिविद्या, ११३वाँ श्लोक। न तानि चक्षुषि न यनिरीक्ष्यसे न तानि चेतांसि न यविचिन्त्यसे । न ता गिरो या न वदन्ति ते गुणान्न ते गुणा ये न भवन्तमाश्रिताः॥ जैनस्तोत्रसन्दोह, शान्तावेषापराभिधानं साधारणजिनस्तवनम् , ६ठा श्लोक । २.
SR No.010193
Book TitleHindi Jain Bhakti Kavya aur Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain, Kaka Kalelkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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