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________________ जैन मक्ति-काव्यका कला-पक्ष डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदीका कथन है कि चौपाईका जन्म कथानकको जोड़नेके लिए ही हुआ था, किन्तु जैन-हिन्दीके अनेक कवियोने अपने मुक्तक-काव्योंके लिए भी चौपाईको ही चुना है। बनारसोदासको 'वेदनिर्णयपंचासिका', 'मार्गणाविधान', 'कर्मप्रकृतिविधान', 'कल्याणमन्दिर स्तोत्र', 'साधुवन्दना', 'ध्यानवत्तीमी', और 'शिवपच्चीसो' मे प्रायः चौपाई और दोहोंका ही प्रयोग हुआ है। भैया भगवतीदामने 'चेतनकर्मचरित्र', 'जिनगुणमाला', 'पंचपरमेष्ठि नमस्कार', 'गुणमंजरी', 'मधुविन्दक' चौपाई, 'उपदेश पचौसिका', 'नन्दीश्वर दोपको जयमाला', 'बारह भावना', 'कर्मबन्धके दश भेद' और 'अकृत्रिम चैत्यालयकी जयमाला में अधिकांशतया चौपाइयोंका ही उपयोप हुआ है। प्रारम्भ, अन्त अथवा मध्यमें कही-कही दोहे भी है। इन मुक्तक कृतियोंमें, चौपाई-दोहोंका प्रयोग प्रबन्ध काव्यकी भाँति नहीं हुआ है। प्रबन्ध काव्यमें एक चौपाईके उपरान्त एक दोहा आता है, किन्तु इन मुक्तक रचनाओंमें, कभी एक दोहा और अनेक चौपाइयां और कभी अनेक चौपाइयां और फिर अनेक दोहोंका क्रम मिलता है। कवि बनारसीदायकी 'साधुवन्दना'की एक चौपाई देखिए, "अहँत सिद्ध सूरि उवझाय । साधु पंच पद परम सहाय ॥ इनके चरणाने में मंन लाय । तिस मुनिवर के बन्दों पाय ।।"" भैया भगवतीदासको 'नन्दीश्वर दीप जयमाला की एक चौपाई इस प्रकार है, "जिन प्रतिमाजिनवरणे कही। जिन सादृश में अंतर नहीं ॥ . 'सब मुरवृन्द नन्दीश्वर जाय । पूजहि तहां विविध धर माय ।" भूधरदासकै विविध स्तुति - स्तोत्रोमें भी चौपाईका प्रयोग हुआ है । उनका 'पार्श्वनाथ स्तोत्र', प्रारम्भिक दोहेके उपरान्त चौपाइयोमें ही लिखा गया है । एक चौपाई इस भांति है, "प्रभु इस जग समरथ ना कोय । जासों तुम यश वर्णन होय । चार ज्ञानधारी मुनि कैं। हम से मंद कहा कर सकें।" १. डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी, हिन्दी साहित्यका आदिकाल, पंचम व्याख्यान, पृ० ६४ २. बनारसीदास, साधुवन्दना, चौपाई २०, बनारसीविलास, जयपुर, पृ० १३० । । ३. मैया भगवतीहास; नन्दीश्वक दीपकी जयमाला,. १५वीं--चौपाई, ब्रह्मविलास, पृ० १५३ । ४. भूधरदास, पार्श्वनाथ स्तोत्र, पहली चौपाई, बृहज्जिनवाणीसंग्रह-१९५६ ई०, ५६
SR No.010193
Book TitleHindi Jain Bhakti Kavya aur Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain, Kaka Kalelkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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