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________________ जैन भक्ति-काव्यका भाव-पक्ष ३९३ अनुभव रंग सुरति पिचकारी, छिरकत हिय रै यो निहच्यौ है। अंग-अंग सरवंग सगवगे, दुहुधां कोऊ नाहि वच्यौ है ॥ सुख में लीन न विछ रत क्यों हू, वीरज अतुल अनन्त जच्यौ है । जग प्रभु को अद्भुत कौतुक लखि, मन नट मेरो उमगि नच्यौ है।" इस बार जगरामके प्रभुके लिए जैसी अच्छी होलो बन पड़ो है, अन्य किसीके लिए नही। उनकी निज परिणति रानीने उन्हें भी अपने रंगमे रंग लिया है । उसका रंग ऐसा-वैसा नहीं है। वह ज्ञानरूपी सलिल, दृगरूपी केसर गौर चारित्ररूपी चोवाको मिलाकर बनाया गया है। रंगके साथ ही दूसरी ओरसे दयारूपी गुलालअबीरका भी प्रयोग हो रहा है। रानीने सुखरूपी नशेमे राजाको छका डाला है। नय और व्रतरूपी नर्तकियां नाना भावोंसे नृत्य करती हैं । वे स्याद्वाद रूपी नादको अलापते हुए भिन्न-भिन्न लय और तानोसे रिझाती रहती है । रानीने राजाको इस प्रकार रसके वशमे कर लिया है कि वह अन्यत्र नहीं जा पाता । उससे सर्वस्वरूपी फगुवा लेकर अपने मन्दिर में विरमा लिया है।' "ऐसी नीकी होरी प्रभु ही के बनि आवै।। निज परनति रानी रंग भीनी अपने रंग खिलावै ।। ग्यान सलिल द्वग केसर चारित चोवा चरचि रचावै । दया गुलाल अबीर उड़ावै सुषमद छकनि छकावै ॥ नयव्रत नृत्यकारिनी नाचे नाना भाव बतावै । स्याद्वाद सोइ नाद अलापत लय तानन सौं रिझावै ।। ऐसे रस बस करि लीने जो अनत न जानन पावै । सरवस फगुवा के जगपति पै निज मन्दिर विरमाचे ॥" नगरमे होरी हो रही है। सर्वत्र आनन्द छाया है। बेचारी सुमति उससे नितान्त वंचित है । उसका पति चेतन घर नहीं है । वह दुःखी है-अतीव दुःखी । उसका दुःख केवल विरह-जन्य ही नहीं है, अपितु इसलिए भी है कि पति सौत कुमतिके घर होली खेल रहा है । किस भांति लाया जाये। अन्तमें उसने 'जिनस्वामी' से प्रार्थना की कि उसे समझाकर लौटालने में सहायता करें। १. पदसंग्रह नं० ५८, पत्र २६ दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर, बड़ौत । २. नगरमे हो रही हो। मेरो पिय चेन घर नाही, यह दुष सुनि है को। सौति कुमति के राचि रहयो है, किह विधि ल्याबू सो। द्यानति सुमति कहै जिन स्वामी, तुम कछु सिष्या द्यो॥ पदसंग्रह ५८, पत्र २५, दि० जैन मन्दिर, बडौत ( मेरठ)। ५०
SR No.010193
Book TitleHindi Jain Bhakti Kavya aur Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain, Kaka Kalelkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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