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________________ जैन भक्त कवि : जीवन और साहित्य लिखा गया है। ये खेतसी उच्चकोटिके विद्वान् और प्रतिभावान् कवि थे। किन्तु उन्होंने कविनामें अपना नाम सर्वत्र 'सोह' लिखा है, अतः प्रस्तुत खेतसोसे उनका पृथक्करण स्पष्ट ही है। एक दूसरे खेतसी और हए है जो कि जैन ही थे। वे मेवाड़के रहनेवाले थे और उन्होने मेवाड़के वैराट गाँवमे 'धन्नारास'की रचना सं० १७३२ मे की थी। उन्होंने अपनेको लोकागच्छके पूज्य दामोदरजीका शिष्य बतलाया है। खेतल खरतरगच्छीय थे और खरतरगच्छके आचार्य जिनराजसूरिके शिष्य दयावल्लभके शिष्य थे। इन्होंने प्रसिद्ध आचार्य जिनचन्द्रसूरिजीके पास सं० १७४१ फाल्गुन बदी ७ रविवारको दीक्षा ली थी। खेतल कहांके रहनेवाले थे यह प्रामाणिक रूपसे नहीं कहा जा सकता। किन्तु उनकी भाषापर मेवाड़ी झलक देखकर स्पष्ट-सा है कि वे मेवाड़के ही रहनेवाले होंगे। इसके अतिरिक्त उन्होने उदयपुर शहरको गजल लिखी है, जो कि मेवाड़की राजधानी थी। गजल तो उन्होने चित्तौड़गढ़की भी लिखी है और ऐसा अनुमान होता है कि जती होनेके बाद वे इन दोनों स्थानोंपर रहे थे। उन्होंने उदयपुरके महाराणा अमरसिंह और जयसमुद्र तालाबको रमणीयताका उल्लेख किया है। उदयपुरकी गद्दीपर अमरसिंह नामके दो महाराणा हुए है। एक तो महाराणा प्रतापसिहके पुत्र थे, जिन्होंने संवत् १६५३ से १६७६ तक राज्य किया। दूसरे महाराणा जयसिहके पुत्र थे। उनका राज्य संवत् १७५५ से १७६७ तक माना जाता है। खेतल दूसरे महाराणा अमरसिंहके राज्यमे मौजूद थे। क्योंकि उन्होंने जिस जयसमुद्र नामके तालाबका वर्णन किया है, वह पहले अमरसिंहके समयमे नही था। उसका निर्माण महाराणा जयसिंहने करवाया था। अतः खेतलका समय अठारहवीं शताब्दीका मध्याह्न मानना चाहिए। श्री अगरचन्दजी नाहटाने उनको उदयपुर ग़ज़लका निर्माण संवत् १७५७ मगसिर बदी ५ बतलाया है। मुनि जिनविजयजीने जिस 'उदयपुर ग़ज़ल'का सम्पादन किया था, उसपर रचनासंवत् नहीं था , किन्तु अभय जैन ग्रन्थालयकी प्रतिपर रचनाकाल ८०वे पद्यमें १. राजस्थानी भाषा और साहित्य, पृ० २४५ । २. जैन गुर्जरकविप्रो, भाग २, पृ० २८६-८७ ३. देखिए, उनके द्वारा रचित बावनीका ६४वाँ पद्य । ४. देखिए, उदयपुर राजल, गजल नं० १५-१७ और ७१ । भारतीय विद्या, वर्ष १, अंक ४, पृ० ४३१ और ४३५ ।
SR No.010193
Book TitleHindi Jain Bhakti Kavya aur Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain, Kaka Kalelkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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