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हिन्दी जैन भक्ति-काव्य और कवि के निष्पन्न करने और करवानेमे प्रसिद्ध थे। वैसी ही उनकी पत्नी थी। वह कमलाकी भांति सुन्दरी और गुणवती थी। उसके गर्भसे दो पुत्र उत्पन्न हुए, एकका नाम था रामचन्द्र और दूसरेका नन्दलाल । दोनों ही मां-बापके अनुरूप स्वस्थ, रूपवान् और गुण-सम्पन्न थे। जगतराम इन दोमे-से किसी एकके पुत्र थे। कवि काशीदासने अपनी 'सम्यक्त्व-कौमुदी' मे उनको रामचन्द्रका सुत कहा है। 'पद्मनन्दि पंचविशतिका'को प्रशस्तिमें उनको स्पष्ट रूपसे नन्दलालका पुत्र स्वीकार किया गया है। श्री अगरचन्दजी नाहटाने उनको रामचन्द्रका पुत्र माना है। ___ इनके पितामह शहर गुहानाके रहनेवाले थे, किन्तु उनके दोनो पुत्र पानीपतमे आकर रहने लगे थे। जगतरामकी रचनाओं और उनके आश्रित कवियोंके कथनसे
१. भाईदास मही में जानिये, ता तिय कमला सम मानिये ।
ता सुत अति सुन्दर वरवीर, उपजे दोऊ गुण सायर धीर ।। दाना भुगता दीनदयाल, श्री जिनधर्म सदा प्रतिपाल । रामचद नन्दलाल प्रवीन, सब गुण ग्यायक समकित लीन ।। कवि काशीदास, सम्यक्त्व-कौमुदी, डॉ. ज्योनिप्रसाद, हिन्दी जैन साहित्यके कुछ अज्ञात कवि, अनेकान्त वर्ष १०, किरण १० ।
तथा भाईदास श्रावक परसिद्ध, उत्तम करणी कर जस लिद्ध । नन्दन दोइ भये तसु धोर, रामचद नन्दलाल सुवीर ॥ सालिभद्र कलियुग मे एह, भाग्यवत सब गुण को गेह । पुण्यहर्ष, पद्मनन्दि पंचविंशतिका, प्रशस्ति संग्रह, जयपुर, अगस्त १६५०,
पृ० २३३ । २. रामचंद सुत जगत अनूप, जगतराय गुण ग्यायक भूप ।
काशीदास, सम्यक्त्वकौमुदी, प्रशस्ति, अनेकान्त वर्ष १०, किरण १० । ३. सुजानसिंघ नन्दलाल सुनन्द, जगतराय सुत है टेकचंद ।
जो लौ सागर ससि दिनकार, तो लौं अविचल ए परिवार ॥
पुण्यहर्ष, पचनन्दिपंचविंशतिका, प्रशस्ति, प्रशस्ति संग्रह. पृ० २३४ । ४. अगरचन्द नाहटा, 'आगरेके साहित्य प्रेमी जगतराय और उनका छन्द रत्नावली
ग्रन्थ', भारतीय साहित्य, वर्ष २, अंक २, अप्रैल १६५७, आगरा विश्वविद्यालय, हिन्दी विद्यापीठ, आगरा, पृ० १८१।। ५. सहर गुहाणावासी जोइ, पाणीपंथ आई है सोइ ।
रामचंद सुत जगत अनूप, जगतराय गुण ग्यायकभूप ॥ सम्यक्त्व-कौमुदी, प्रशस्ति, अनेकान्त वर्ष १०, किरण १० ॥