SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन भक्त कवि : जीवन और साहित्य कुमुदचन्दकी ख्याति अधिक फैली, गुरु रत्नकोत्तिसे भी अधिक । राजा और नवाब भी उनको प्रशंसा करते थे। उनके विद्याबलसे बड़े-बड़े विद्वान् वशवर्ती हो गये थे। जहां जाते, जनता उनके पीछे हो जाती। इसका कारण था, विद्वत्ताके साथ-साथ वाणीकी मधुरता और हृदयकी पवित्रता। उनके शिष्य धर्मसागरने एक गीतमे लिखा है कि वे जहां विहार करते, मार्ग कुंकुमसे छिड़क दिये जाते, चौक मोतियोसे पूरे जाते और बबाये गाये जाने लगते।' ___ कुमुदचन्द विद्वान् ही नहीं, अपितु साहित्यकार भी प्रथम कोटिके थे। अबतक उनकी २८ रचनाएँ और अनेक पद तथा विनतियां प्राप्त हुई है। इनकी रचनाओमे गीत अधिक है। उनका सम्बन्ध नेमीश्वर और राजुलके प्रसिद्ध कथानकसे है । 'नेमिजिनगीत'मे राजुलका सौन्दर्य-वर्णन करते उन्होंने लिखा है, "रूपे फूटडी मिटे जूठडी बोले मीठडी वाणी । विद्रुम उठडी पल्लव गोठडी रसनी कोटडी बखांणी रे ॥ सारंग वयणी सारंग नयणी सारंग मनी श्यामा हरी। लंबी कटि ममरी बंको शंकी हरिनी मारि रे ॥" 'नेमिनाथ बारहमासा','प्रणयगीत' और 'हिण्डोलनागीत'मे राजुलका विरह मुखर हो उठा है । फाल्गुनमास आनन्दका बना होता है। पलियाँ पतियोंके साथ फाग खेलती है। उनके वदन प्रसन्नतासे सदैव खिले बने रहते है। किन्तु राजीमती क्या करे, उसके पतिने वैराग्य ले लिया है । वह लौटकर नही आयेगा। उसका विरह फूट पड़ा, "फागुण केसू फूलीयो, नर नारी स्मे वर फाग जी। हंस विनोद करे घणा, किम नाहे धर्यो वैराग जी ॥" 'वणजारागीत' में २१ पद्य है। यह एक रूपक-काव्य है। इसमे मनुष्य वणजारा है। जिस तरह वणजारे इधर-उधर घूमते-फिरते है, उसी भांति यह मनुष्य संसारमे भ्रमण करता है। दिन-रात पाप कमाता है । संसारके बन्धनसे कभी छूटता नही, "पाप कर्यो ते अनंत, जीवदया पाली नहीं। सांचो न बोलियो बोल, भरम मो साबहु बोलिया ॥" १. सुन्दरि रे सहुआवो, तो कुंकुम छडो देवडावो । वारू मोतिये चोक पूरावो, रूडा सहगुरु कुमुदचन्द ने वधावो ॥ धर्मसागरकृत गीत।
SR No.010193
Book TitleHindi Jain Bhakti Kavya aur Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain, Kaka Kalelkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1964
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy