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________________ परिचय खंड ब्रह्य राय नल्ल के सात हिन्दी काव्य प्राप्त हैं, जिनकी प्रतियां जयपुर के भण्डारों में सुरक्षित हैं । १ इनकी रचनाएं इस प्रकार हैं१ नेमीश्वर रास ( सं० १६१५ ) ५ श्री पाल रास ( सं० १६३०) २ हनुवन्त कथा ( सं० १६१३) ६ भविष्यदत्त कथा ( सं० १६३३ ) ३ सुदर्शन रास (सं० १६२६ ) ७ निर्दोष सप्तमी प्रत कथा ४ प्रद्युम्न चरित्र ( सं० १६२८ ) (अप्राप्त ) " नेमीश्वर रास" नेमिनाथ की भक्ति में रचा गया काव्य है। हनुवन्त कथा : अंजना पुत्र हनुमान और भक्तमती अंजना की चरित्र गाथा है। हनुमान के पिता का अखण्ड विश्वास है कि जिनेन्द्र की पूजा से आत्मा निर्मल होती है और मोक्ष की प्राप्ति होतो है । पूजन की तैयारी का एक प्रसंग अवलोकनीय है " कूकू चदंन धसिवा धरणी, मांझि कपूर मेलि अती घणी । जिणवर चरण पूजा करी, अवर जन्म की थाली भरी ।।" क्षत्रिय पुत्र वालक हनुमान का भी ओजस्वी चित्रण हुआ है" वालक जव रवि उदय कराया, अन्धकार सब जाय पलाय । वालक सिंह होर अति सूरो, दन्तिघात करे चक-चेरो। सवन वृक्षत वन अति विस्तारो, रती अग्नि करे दह छारो॥ जो वालक क्षत्रिय को होय, सूर स्वभाय, न छोड़े कोय ।।" प्रद्युम्न चरित्र की एक प्रति संवत् १८२० की लिखी आमेर शास्त्र भण्डार में सुरक्षित है इसकी प्रशस्ति में बताया गया है कि इसकी रचना हरसोर गढ में संवत १६२८ को हुई थी। मुदर्शन रास की रचना सं० १६२६, वैसाख शुक्ल सप्तमी को हुई थी। सम्राट अकबर के राज्यकाल में रचित इस कृति में अकवर के लिए कहा है कि वह इन्द्र के समान राज्य का उपभोग कर रहा था तथा उसके हृदय में भारत के षट् दर्शनों के प्रति अत्यन्त मम्मान था। - " साहि अकबर राजई, अहो भोगवे राज अति इन्द्र समान । ' और चर्चा उर राखै नहीं अहो छः दरसण को राखै जी मान ॥१॥" १ वीरवाणी वर्ष, २, पृ० २३१
SR No.010190
Book TitleGurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHariprasad G Shastri
PublisherJawahar Pustakalaya Mathura
Publication Year1976
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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