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________________ आलोचना खंड आलोच्य युगीन जैन गूर्जर कवियों द्वारा प्रणीत बारह मासों की सूची इस प्रकार है कुमुदचन्द : नेमिनाथ बारहमासा जिनहर्ष : नेमि वारहमासा, नेमिराजमति वारहमासा, श्री स्थूलिभद्र बारहमासा१, तथा पार्श्वनाथ बारहमासार धर्मवर्द्धन : बारहमासा भ० रत्नकीति : नमिनाथ वारहमासा लक्ष्मीवल्लभ : नेमिराजुल बारहमासा लालविजय : नेमिनाथ द्वादस मास विनयचन्द्र : नेमि-राजुल वारहमासा तथा स्थूलिभद्र वारहमाम जयवन्तसूरि : नेमिराजुल वारमास बेल प्रवन्ध इसी प्रकार चार मास का वर्णन करने वाले काव्यों की संज्ञा 'चौमासा' है। ऐसे चौमासा काव्य कवि समयसुन्दर ने विशेष रूप से लिखे है ।३ कवि जिनहर्प का भी एक 'चउमासा' काव्य प्राप्त होता है ।४ (६) कथा प्रवन्ध की दृष्टि से : प्रवन्ध, चरित्र, आख्यान, कथा आदि में चरित्र, आख्यान तथा कथा संजाएं प्रायः एकार्थवाची हैं। और जिसके सम्बन्ध में लिखा गया हो उसके नाम के आगे 'सम्बध' या प्रवन्ध' नामाभिधान कर दिया गया है। 'प्रबन्ध' ऐतिहासिक तथा चरित्र प्रधान आख्यान काव्य की संज्ञा है । मालदेव का 'भोज प्रवन्ध' इस दृष्टि से उल्लेखनीय है। बाद मे कुछ कवियो ने कथाकाव्य के लिए तथा कुछ ने किसी विषय पर क्रमवद्ध विचारों के लिए या ऐसे ग्रथों के पद्यानुवादों के लिए भी 'प्रबन्ध' संज्ञा दी है । लक्ष्मीवल्लभ का 'काल ज्ञान प्रबंध' वैद्यक विषय पर लिखा ऐसा ही पद्यानुवाद है । प्रवन्ध सजक रचनाएं इस प्रकार है उदयराज : वैध विरहणी प्रबन्ध जयवन्तरि : नेमि राजुल वारमास वेल प्रबन्ध दयाशील : चन्द्र सेन चन्द्रद्योत नाटकीया प्रबन्ध - १. २. जिनहर्प नथवली में प्रकागित; संपा० अगरदन्द नाहटा, पृ० ३८२,३०७ ३. समयसुन्दर कृत कुसुमांजलि, संपा० अगरचन्द नाहटा, पृ० ३०५ । ४. जिनहर्प थावली, संपा० अगरचन्द नाहटा, पृ० ३८६ ।
SR No.010190
Book TitleGurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHariprasad G Shastri
PublisherJawahar Pustakalaya Mathura
Publication Year1976
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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