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________________ २४ जैन गुर्जर कवियों की हिन्दी कविता (क) विभिन्न पुस्तकालयों में। (ख) विभिन्न मन्दिरों एवं ज्ञान भण्डारों में । (ग) विभिन्न शोध संस्थानों तथा प्रकाशन संस्थाओं में । (घ) व्यक्ति विशेप के पास तथा निजी भण्डारों में । लेखक ने गुजरात के पाटण तथा अहमदावाद और राजस्थान के उदयपुर चित्तौड़, जयपुर, जोधपुर, तथा बीकानेर के विभिन्न ज्ञान भण्डारों, पुस्तकालयों तथा शोध संस्थाओं की प्राप्त सामग्री के अध्ययन का लाभ उठाया है। (ख) परिचयात्मक सामग्री : जैन-गुर्जर कवियों के सामान्य परिचय सम्बन्धी सामग्री जैन साहित्य के . विभिन्न इतिहासों से तथा विशेषतः श्री मोहनलाल दलिचन्द देसाई के ग्रन्थ जैन । गुर्जर कविओ (तीन भाग) से प्राप्त हुई है। कुछ कवियों के परिचय लेखक ने विभिन्न भण्डारों की अप्रकाशित सामग्री से भी खोजने के प्रयत्न किये हैं। इसके लिए मुनि कांतिसागर जी (उदयपुर) के अप्रकाशित अंशों तथा डॉ० कस्तूरचन्द जी कालीदास जी के नोट से भी पर्याप्त सहायता मिली है।। (ग) आलोचनात्मक सामग्री : गुजराती तथा जैन साहित्य के विशिष्ट अध्येताबों में डॉ० कन्हैयालाल मुन्शी, आचार्य अनन्तराय रावल, डॉ० भोगीलाल सांडेसरा, श्री विष्णुप्रसाद त्रिवेदी, आचार्य कुंवर चन्द्रप्रकाशसिंह, डॉ० अम्बाशंकर नागर, श्री के० का शास्त्री, श्री अगरचन्द नाहटा, श्री मोहनलाल दलिचन्द देसाई, प्रो० मंजुलाल मजुमदार, श्री नाथूराम प्रेमी, श्री कामताप्रसाद जैन, श्री नेमिचन्द शास्त्री, डाँ० कस्तूरचन्द कासलीवाल, प्रो० दलसुखभाई मालवणिया, पं० श्री नेचरदास दोशी, पं० सुखलालजी, मुनि कांतिसागरजी, श्री पुण्यविजयजी, श्री जिनविजयजी आदि का नाम लिया जा सकता है । इन वरेण्य विवेचकों एवं चिंतकों की प्रकाशित एवं अप्रकाशित-दोनों प्रकार की । उपलब्ध सामग्री का अध्ययन लेखक ने किया है। ३. प्रस्तुत विषय में शोध-संभावनाएं इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रस्तुत प्रवन्ध का विपय मौलिक एवं गवेपणा की सम्भावनाओं से पूर्ण है। ये सम्भावनाएं जहां एक ओर शोधार्थी को नसंख्य कृतियों व कृतिकारों को प्रकाश में लाने की मोर प्रेरित करती प्रतीत होती हैं, वहीं दूसरी और उनके सामूहिक मूल्यांकन का दिशा-निर्देश भी करती हैं।
SR No.010190
Book TitleGurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHariprasad G Shastri
PublisherJawahar Pustakalaya Mathura
Publication Year1976
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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